नई दिल्ली। भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इसी तरह पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण भी देश की अलग-अलग विधाओं की हस्तियों को दिए जाने वाले विशिष्ट सम्मान हैं, जिन्हें लेकर देश में काफी सुर्खियां बनती हैं।

मगर, एक समय ऐसा भी आया था, जब जनता सरकार ने ये सम्मान-उपाधियां देना बंद कर दिया। तत्कालीन सरकार का तर्क भी बड़ा चौंकाने वाला था कि ‘पुरस्कार बांटना एक घटिया काम है और सरकारों को ये नहीं करना चाहिए।’ इस कारण करीब तीन साल तक ये पुरस्कार किसी को नहीं दिए गए।
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फिर जब जनता सरकार पदच्युत हुई और दूसरी सरकार ने सत्ता संभाली तो विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों को सम्मानों से नवाजने का सिलसिला पुन: शुरू हुआ। ये किस्सा उस जनता पार्टी का है, जिसने सन् 1977 से 1980 के दौरान देश की सत्ता संभाली।
इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के बाद देश नाराज था, ऐसे में जनता पार्टी जीती और केंद्र में आई थी। सम्मान, पुरस्कार और उपाधियों को लेकर ये राष्ट्रवादी सरकार सख्त थी और इन्हें ‘अंग्रेजों की सोच का परिणाम’ मानती थी। लिहाजा अपने शासनकाल में इस सरकार ने एक भी भारत रत्न या पद्म पुरस्कार नहीं दिया।
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