ईद का पर्व कल देश तथा प्रदेश में अन्य स्थान की तरह ही वाराणसी में भी काफी हर्षोल्लास संग मनाया गया। नगर से लेकर गांव तक ईद की धूम रही। सेंवईयों की लज्जत ने आपसी प्रेम व सौहाद्र्र की मिठास में इजाफा कर दिया। कल देर शाम तक सेवईंयों की दावत का सिलसिला चलता रहा। वहीं ईद के बाद अब काशीवासियों को छोटी ईद का इंतजार है, जो आगामी 22 जून को मनाई जाएगी।
उत्सवधर्मी काशी अपने सतरंगी संस्कृति के कारण दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। कबीर ने अपने दोहों में यहां की विरासत को संजोया, तो वहीं नजीर ने साझी संस्कृति को अपने कलाम में पिरोया। दुनिया का सबसे पुराना व जीवंत शहर बनारस कई मामलों में निराला है। यहां के कई ऐसे धार्मिक आयोजन हैं, जिन्हें देखने, जानने व समझने के लिए दुनियाभर से पर्यटक पहुंचते हैं। इन्हीं में से एक है छोटी ईद, जो सिर्फ बनारस में ही मनाई जाती है।
रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला हो या नाटी इमली का भरत मिलाप, लाखों श्रद्धालु इसमें शामिल होकर ऐतिहासिकता प्रदान करते हैं। होली-दीवाली हो या ईद का त्योहार काशीवासी सभी पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। प्रेम-सद्भाव का प्रतीक ईद-उल-फित्र का त्योहार दुनिया के लगभग सभी मुल्कों में मनाया जाता है। वहीं बनारस में जोश-ओ-खरोश के साथ छोटी ईद भी मनाई जाती है।
काशी में ईद के सातवें दिन यानी शुक्रवार, 22 जून को मंडुआडीह स्थित हजरत मखदूम कुतुब तैयब शाह बनारसी का सालाना उर्स ‘छोटी ईद’ के रूप में मनाई जाएगी। आस्ताना परिसर स्थित मदरसा दारुल उलूम तैय्यबिया मोइनिया के प्रधानाचार्य मौलाना अब्दुस्सलाम ने बताया कि इसमें शामिल होने पूर्वांचल सहित मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, राजस्थान के अलावा बांग्लादेश के भी अकीदतमंद पहुंचते हैं।
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