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ये एक ऐसी बहादुर लड़की है जो कई सालों से तोप दाग कर अजमेर दरगाह की धार्मिक रस्मों का भी आगाज करती है। इस बेटी पर पूरा अजमेर शहर नाज करता है और इसे फोजिया तोपची के नाम से जाना जाता है।
तोप चलाने की सदियों पुरानी इस परम्परा को फोजिया के बुजुर्ग ही निभाते चले आए हैं। मगर अब इस परम्परा की जिम्मेदारी फोजिया के कंधो पर है जो अपने नाजूक हाथों से भारी भरकम तोप में बारूद भर कर दागने को ख्वाजा साहब की खिदमत मानती है।
तोप चलाने के अलावा फोजिया अपने पूरे परिवार का भी ध्यान रखती है। तोप की गरज के साथ खेलने वाली फोजिया की एक छोटी सी दूकान भी है जहां पूरा दिन बैठ कर वो ख्वाजा पर बनें भजनों और कव्वालियों की सीडियां बेच लेती है और उसी से अपना घर खर्च चलाती है।
खास बात यह है की फोजिया का परिवार पिछली सात पीढ़ियों से तोप चलाने के काम को अंजाम देता आ रहा है। फोजिया के पिता अब इस दुनिया में नहीं है पर फोजिया के परिजन उसे बेटे की तरह मानते है जिसने उनका सिर फक्र से उंचा कर दिया है।
तोप दागने वाली इस बहादुर लड़की ने अपनी पूरी जिन्दगी ख्वाजा के नाम कर दी है और इसी तरह उम्र भर तोप दाग कर ख्वाजा की खिदमत करने का फैसला भी कर लिया है। यही वजह है की तोप दागने वाली फोजिया किसी सानिया मिर्जा,साइना नेहवाल या कल्पना चावला से कम नहीं है।
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