ईरान के सरकारी अमले में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का खौफ है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने गुप्त जगह पर शरण ले रखी है। हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद उन्हें अब किसी पर भरोसा नहीं है। उनका सबसे भरोसेमंद सैन्य कमांडर भी नसरल्लाह के साथ इजरायली हवाई हमले में मारा जा चुका है।
साल 2006 से खुफिया ठिकाने में रहने वाला हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह अचानक 27 सितंबर को इजरायली हवाई हमले में मारा गया तो ईरान दंग रह गया। ईरान को हैरानी इस बात की हुई कि इजरायल कैसे नसरल्लाह के ठिकाने तक पहुंचा? ईरान का शक गहराया तो बात मोसाद के एजेंटों तक पहुंच गई। ईरान के हाथ यह जानकारी लगी कि हिजबुल्लाह में मोसाद के कई एजेंट हैं।
जांच में पता चला कि ईरान में भी कई वरिष्ठ सरकारी पदों पर मोसाद के एजेंट तैनात हैं। यह जानकारी सामने आने के बाद पूरे ईरान में खौफ है। नसरल्लाह की मौत के बाद से ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अब किसी पर विश्वास नहीं कर रहे हैं।
ईरान ने शुरू की जांच
ईरान ने अब इजरायली एजेंटों की जांच शुरू कर दी है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने बताया कि रिवोल्यूशनरी गार्ड से लेकर वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों की जांच की जा रही है। विदेश जाने वाले अधिकारियों और जिनके परिवार विदेश में रहते हैं… सबसे पहले उनकी जांच की जा रही है।
इन पर है ईरान को शक
ईरान को लेबनान की यात्रा करने वाले रिवोल्यूशनरी गार्ड के कुछ अधिकारियों पर शक है। इनमें से एक अधिकारी ने नसरल्लाह के ठिकाने के बारे में पूछा था। ईरान ने कुछ अन्य संदिग्धों के साथ इस अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि उसका पूरा परिवार ईरान से भागने में सफल रहा।
ईरान-हिजबुल्लाह में पैदा हुआ अविश्वास
ईरान के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि नसरल्लाह की हत्या के बाद से ईरान-हिजबुल्लाह के बीच अविश्वास पैदा हो गया है। उधर, ईरान की सत्ता प्रतिष्ठान के करीबी एक सूत्र ने जानकारी दी है कि सर्वोच्च नेता अब किसी पर भरोसा नहीं करते हैं।
इन दो हत्याओं ने ईरान को चौंकाया
इसी साल जुलाई में लेबनान की राजधानी बेरूत में एक गुप्त ठिकाने में हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुकर छिपा था। मगर सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर इजरायल ने हवाई हमले में उसे मौत के घाट उतारा। उसकी हत्या के कुछ घंटे बात ईरान की राजधानी तेहरान में हमास प्रमुख इस्माइल हानिया मारा गया। इन दोनों हत्याओं के बाद हिजबुल्लाह और ईरान को यह पता लग गया था कि मोसाद के एजेंट काफी अंदर तक घुसे हैं।
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