भारत के घरेलू बाजार में ड्रग्स की खपत चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। पिछले तीन वर्षों में भारत में ड्रग्स का बाजार 455 फीसदी बढ़ा है। नशे पर लगाम लगाने के लिए सोमवार को चंडीगढ़ में पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बैठक की। इसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थन के मुख्यमंत्री शामिल हुए। बताया जा रहा है कि पहले इस बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी शामिल होना था। हालांकि ऐन वक्त पर उन्हें बैठक में बुलाया ही नहीं गया। बैठक का नतीजा क्या निकलेगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन देश में ड्रग्स का बढ़ता कल्चर गंभीर समस्या बन चुका है।
नशे के लिए पंजाब भले बदनाम हो, लेकिन उससे सटे राज्यों हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान में भी हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। ड्रग्स के सौदागर देश के दूसरे राज्यों में भी तेजी से पांव पसार रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएनओडीसी के वर्ष 2015 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में करीब 23.4 करोड़ लोग ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं। हर साल ड्रग्स के कारण करीब 2 लाख लोग जान गंवा बैठते हैं।
भारत में नशाखोरी की समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम तक में इसे मुद्दा बना चुके हैं। निजी संस्थाओं और सरकार भी नशामुक्ति के लिए नियमित जागरुकता अभियान चला रहे हैं। बावजूद जिस तरह से नशाखोरी के मामले देश के विभिन्न राज्यों में देखे जा रहे हैं, वह गंभीर चिंता का विषय हैं।