हल्द्वानी: उत्तराखंड में नैनीताल और ऊधमसिंह नगर के बीच टाडा जंगल में पहला एवियन जोन बनाने जा रहा है। जोन में दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों का संरक्षण किया जाएगा। वॉटर बॉडी, बर्ड वॉचिग ट्रेल और टॉवर इस जोन की खासियत होंगे। उत्तराखंड में पक्षियों की 1200 से 14000 प्रजाति पाई जाती है। अकेले नंधौर सेंचुरी में करीब 350 से अधिक प्रजाति मौजूद है। सेंचुरी से सटे जौलासाल के जंगल में हंसपुर खत्ता से अंदर विभाग चार हेक्टेयर में एवियन जोन प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है।
हल्द्वानी वन प्रभाग के डीएफओ डॉ. चंद्रशेखर सनवाल ने बताया कि जंगल में वॉटर बॉडी बनाकर जलीय पक्षियों को संरक्षित किया जाएगा। साथ ही दुर्लभ और स्थानीय पेड़ों को लगाकर पक्षियों को बेहतर आवास उपलब्ध कराना भी प्राथमिकता में शुमार है। जोन के चारों और बनाई जाने वाली गोल बर्ड वॉचिंग ट्रेल से पक्षियों का आसानी से दीदार हो सकेगा। यहां बनने वाले टॉवर से लोग सीधा और दूरबीन के माध्यम से पक्षी और प्राकृत्तिक जंगल को देख पाएंगे।
घास का मैदान होगा तैयार
वन विभाग के मुताबिक कई पक्षियों को घास के मैदान पर विचरण करना पसंद है। इस वजह से जोन में वेटिकट ग्रास, पेनीसेटम ग्रास, एरिएनथेस ग्रास इस्तेमाल की जाएगी।
इन पेड़ों को लगाया जाएगा
जोन में सेमल, शहतूत, जामुन, नीम, निंबुली, बकैन, सेंडिलवुड, चंदन, पुऋजीवा, आम, फारकस, बरगद, पीपल, सेलेक्स, ढाक, प्लाश के अलावा सर्वप्रजाति और चारा प्रजाति के पेड़ यहां संरक्षित होंगे।
खास दुर्लभ पक्षी
लाल मुखी ट्रोगोन, लाल मुखी गिद्ध, पूर्वी शाही ईगल, ग्रे-ताज, ब्लेक ड्रोग, पर्पल सनबर्ड, टेलर बर्ड, इंडियन रोलर, ब्लैक हेडेड ड्राउल, येलो बुलबुल, माउंटेन हॉक ईगल, हिमालयन गिद्ध आदि।
शोध का जरिया बनेगा जोन
उत्तराखंड का पहला एवियन जोन पक्षियों पर शोध के नजरिए से भी खास है। कौनसी बर्ड खत्म हो रही है। हमें कैसे उनका संरक्षण कर सकते हैं। ऐसे कई पहलुओं पर पक्षी विशेषज्ञ जोन में शोध कर सकते हैं।