प्रदेश में दीपावली, गुरु पर्व और छठ के मौके पर पटाखों का सीमित इस्तेमाल ही किया जा सकेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों का पालन किया जाएगा। चार जिलों के छह शहरों देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रुद्रपुर एवं काशीपुर में केवल ग्रीन क्रेकर्स (पटाखों) की बिक्री होगी। पटाखे केवल रात्रि में केवल दो घंटे ही जलाए जा सकेंगे।

एनजीटी ने वायु प्रदूषण और कोविड-19 के मद्देनजर कम वायु प्रदूषण वाले पटाखों के बेचने और जलाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश चार जिलों हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल के लिए हैं। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किए। इसके मुताबिक उक्त छह नगरों की सीमा में केवल ग्रीन क्रेकर्स ही रात्रि आठ से दस बजे तक जलाए जा सकेंगे। छठ पूजा पर सुबह छह बजे से आठ बजे तक पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।
गौरतलब है कि एनजीटी ने वायु प्रदूषण के हिसाब से गंभीर स्थिति वाले शहरों में दीपावली पर पटाखे जलाने पर सख्त रुख अपनाया है। उत्तराखंड में चार जिलों में अन्य नौ जिलों की तुलना में पटाखे ज्यादा जलाए जाते हैं। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य के उक्त छह शहरों वायु प्रदूषण के स्तर का आकलन करता है। इन शहरों में ही वायु प्रदूषण अधिक है।
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