ग्राम और क्षेत्र पंचायतों के मसले पर शासन स्तर पर निर्णय न होने से पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी बढ़ रही है।
प्रदेश की ग्राम और क्षेत्र पंचायतों में प्रशासक की तैनाती संबंधी व्यवस्था के अध्ययन के बाद समिति शासन को रिपोर्ट सौंप चुकी है, लेकिन रिपोर्ट सौंपने के तीन दिन बाद भी शासन स्तर से इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इससे इनमें प्रशासकों की तैनाती को लेकर असमंजस बना है। इस देरी से पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी बढ़ रही है।
शासन ने हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया है। ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी पंचायत और क्षेत्र पंचायतों में उप जिलाधिकारियों को प्रशासक बनाया गया है। इससे ग्राम एवं क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी है। उनका कहना है कि जिला पंचायतों की तर्ज पर उन्हें भी प्रशासक बनाया जाए।
समिति सौंप चुकी कल अपनी रिपोर्ट
अपनी मांग को लेकर पिछले दिनों पंचायत प्रतिनिधि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले। मुख्यमंत्री ने ग्राम और क्षेत्र पंचायतों में प्रशासक की तैनाती संबंधी व्यवस्था के अध्ययन के लिए अपर सचिव पंचायतीराज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति के गठन के निर्देश दिए थे।
समिति को 9 दिसंबर 2024 तक शासन को अपनी रिपोर्ट देनी थी ताकि स्पष्ट रिपोर्ट मिलने के बाद मामले में कोई निर्णय लिया जा सके। समिति मंगलवार 10 दिसंबर 2024 को शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है, लेकिन समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद भी ग्राम और क्षेत्र पंचायतों में प्रशासक नियुक्त होंगे या नहीं इस पर शासन स्तर से कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने का प्रयास किया जा रहा है। यदि उनके मसले पर जल्द कोई निर्णय न लिया गया तो पंचायत प्रतिनिधि आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस मामले में सचिव पंचायतीराज विभाग चंद्रेश कुमार से प्रयास के बाद भी संपर्क नहीं हुआ।
शासन को समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद भी मामले में असमंजस की स्थिति बनी है। इस प्रकरण में जल्द स्थिति स्पष्ट की जाए। – भाष्कर सम्भल, प्रदेश अध्यक्ष, ग्राम प्रधान संगठन