नई दिल्ली: उत्तराखंड में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने चुनाव प्रबंधन का काम अपने हाथ में लेने में देरी की। यह भी सामने आया है कि किन स्टार प्रचारकों को कहां लगाया जाए, इसका भी ठीक से ध्यान नहीं रखा गया। बताया जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू की सबसे अधिक डिमांड आई थी लेकिन प्रचार के एक दिन पहले तक वह नहीं जा सके थे। ऐसा किस वजह से हुआ यह समझ से परे है क्योंकि सिद्धू पंजाब विधानसभा चुनाव से कई दिन पहले फ्री हो गए थे और बात करके ही उन्हें उत्तराखंड के स्टार प्रचारकों में शामिल किया गया था।
बताया जा रहा है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा, पार्टी सचिव अविनाश पांडे और हिमाचल प्रदेश के मंत्री बी.एस. बाली ने यहां आकर पाया कि चुनाव प्रबंधन में कई स्तरों पर सुराख हैं। इन तीनों नेताओं को राहुल गांधी ने उत्तराखंड चुनाव में सारी व्यवस्थाएं ठीक करने के लिए लगाया है। वे लगातार प्रभारी महासचिव अंबिका सोनी को यहां की स्थिति से अवगत करवा रहे हैं। वे इस बात की भी रिपोर्ट दे रहे हैं कि पार्टी के कौन-कौन से नेता ठीक से काम नहीं कर रहे हैं या कौन से नेता भाजपा की मदद कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि सचिव अविनाश पांडे की हर समय उपलब्धता की वजह से प्रदेश मुख्यालय को लेकर उम्मीदवारों की जो शिकायत थीं, उनमें अब कमी आई है। हालांकि यह कहना अभी भी मुश्किल है कि कांग्रेस के उम्मीदवारों ने संसाधनों के मामले में भाजपा उम्मीदवारों की बराबरी कर ली है।
संसाधनों के मामले में कांग्रेस के उम्मीदवार पहले दिन से रोना रो रहे हैं। दिल्ली में कांग्रेस के नेता कहते हैं कि जिन राज्यों में कांग्रेस सरकारें होती हैं वहां संसाधनों के लिए मदद यहां से नहीं दी जाती है। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और सचिन पायलट जैसे नेताओं की सभाएं करवाई हैं। इनमें वीरभद्र सिंह की सभी को ही उपयोगी बताया जा रहा है। उम्मीदवार की तरफ से इन बाहरी नेताओं से ज्यादा डिमांड हरीश रावत की रही। रविवार को राहुल गांधी के लम्बे रोड शो को कांग्रेस काफी सफल मान रही है। हालांकि सिद्धू ने प्रचार नहीं करने बारे कोई जवाब नहीं दिया।