उत्तराखंड: जमरानी बांध परियोजना से उत्तराखंड और यूपी के चार जनपदों की खुलेगी किस्मत

49 साल के लंबे इंतजार के बाद जमरानी बांध परियोजना अब धरातल पर उतरेगी। एफकॉन्स इंप्रास्ट्रक्चर लिमिटेड 2021.99 करोड़ रुपये की लागत से जमरानी बांध परियोजना का निर्माण करेगी। मानसून सीजन के बाद बांध का निर्माण शुरु हो जाएगा। जमरानी बांध परियोजना से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की लाखों की आबादी की जहां पेयजल की जरूरतें पूरी होंगी। वहीं खेती के बड़े रकबे की सिंचाई भी होगी। बिजली उत्पादन से लेकर मछली पालन और वाटर स्पोर्ट्स के जरिये भी सरकार को राजस्व मिलेगा। सिंचाई विभाग ने जमरानी बांध का पानी यूपी के बरेली और रामपुर जिले तक पहुंचाने के लिए कागजी कवायद पूरी कर ली है। बस धरातल पर काम होने का इंतजार है।

जमरानी बांध परियोजना से उत्तराखंड और यूपी की सिंचाई और पेयजल जरूरतें पूरी करने के लिए नहरों का चौड़ीकरण एवं जीर्णोद्धार किया जाएगा। नहरों को बनाने में 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बांध बनने से यूपी और उत्तराखंड के चार जनपदों की 13 तहसीलें लाभान्वित होंगी। यूपी के बरेली जिले की बहेड़ी और मीरगंज, रामपुर जिले की बिलासपुर, मिलक, रामपुर और स्वार तहसीलों तक सिंचाई के लिए आपूर्ति हो सकेगी। बरेली और रामपुर जिले को 61 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। इससे यूपी के 684 गांवों की 1,15,582 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी और 60,869 भूमिधारक लाभान्वित होंगे। उत्तराखंड में नैनीताल जिले की हल्द्वानी, लालकुआं और नैनीताल, ऊधमसिंह नगर जिले की बाजपुर, गदरपुर, किच्छा और सितारगंज तक पानी पहुंचेगा। दोनों जिलों में 38.6 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। दोनों जिलों के 368 गांवों की 34,720 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी और 8320 भूमिधारक लाभान्वित होंगे।

गौलावार फीडर का होगा चौड़ीकरण
यूपी के रामपुर और बरेली के लिए पानी गौलावार फीडर से होकर जाएगा। इसके लिए काठगोदाम से सेंचुरी पेपर मिल (लालकुआं) तक 16 किलोमीटर लंबी गौलावार फीडर का चौड़ीकरण कार्य किया जाएगा। इस कार्य में 100 करोड़ से अधिक खर्च होने का अनुमान है। गौलावार फीडर की क्षमता को डेढ़ गुना किया जाना प्रस्तावित है। अभी गौलावार फीडर की क्षमता 15 क्यूमेक है, जिसे बढ़ाकर 24 क्यूमेक किया जाएगा।

पाहा फीडर से बरेली पहुंचेगा पानी
यूपी के बरेली जिले की सिंचाई और पेयजल की जरूरतों को पूरा करने के लिए पाहा फीडर से पानी पहुंचाया जाना है। इसके लिए सेंचुरी पेपर मिल से नगला तक साढ़े आठ किलोमीटर लंबी नहर का पुनर्निर्माण किया जाएगा। इसकी क्षमता बढ़ाकर डेढ़ गुना की जाएगी। नगला से किच्छा बैराज होते हुए बरेली जिले के लिए पानी की निकासी की जाएगी।

यूपी और उत्तराखंड के हजारों किसान होंगे प्रभावित

राज्य                                             उप-क्षेत्र             लाभान्वित गांव लाभान्वित भूमिधरउत्तराखंड भाबर (नैनीताल)             196                         4917

तराई (ऊधमसिंह नगर)                   172                        3403उत्तरप्रदेश गंगातटीय (बरेली और रामपुर) 368                 60869

योग                                                1052                   69189

जमरानी बांध परियोजना का इतिहास

  • 1975 – योजना आयोग से बांध की डीपीआर को प्रशासनिक स्वीकृति मिली
  • 1981 – गौला बैराज का निर्माण, 40.5 किमी नहर निर्माण, 244 किमी नहर सुधारीकरण
  • 1989 – केंद्रीय जल आयोग की तकनीकी सलाहकार समिति से जमरानी बांध को फेज दो की मंजूरी
  • 2018 – फोरेस्ट क्लीयरेंस स्टेज वन, उत्तराखंड और यूपी के बीच अंतरराज्यीय एमओयू
  • 2019 – केंद्रीय जल आयोग की तकनीकी सलाहकार समिति से फेज दो की मंजूरी, पर्यावरणीय मंजूरी, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा से मंजूरी
  • 2022 – मोदी सरकार ने पीएम कृषि सिंचाई योजना में शामिल किया।
  • 2023 – जनवरी में फॉरेस्ट स्टेज दो क्लीयरेंस, मार्च में पीआईबी की मंजूरी, 25 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने पीएमकेएसवाईएआईबीपी के तहत जमरानी योजना को शामिल करने की स्वीकृति मिली।
  • 2024 – धामी सरकार ने बांध से जुड़े कामों के लिए 710 करोड़ रुपये जारी किए, बांध के निर्माण को लेकर 2024 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया, एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर को मिला बांध बनाने का ठेका, वेबकॉस कंपनी को पुनर्वास स्थल पर टाउन प्लान बनाने का काम सौंपा, धारा 19 को सचिव राजस्व से मंजूरी मिलने के बाद पुनर्वास और मुआवजा वितरण का रास्ता खुला।

 

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