उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के बीच करार एक बार फिर टल गया है। इसके चलते उत्तराखंड परिवहन निगम को 36 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना का नुकसान झेलना पड़ रहा है। लंबे से दोनों प्रदेशों के परिवहन निगमों के बीच अनुबंध की कवायद चल रही है, लेकिन हर बार इसकी राहत में कोई रुकावट आ जाती है।
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की करीब 1100 बसें रोजाना उत्तराखंड में करीब 1500 चक्कर लगाती हैं। इससे उत्तराखंड परिवहन निगम को सालाना 36 करोड़ से अधिक नुकसान होता है। वहीं, इसके सापेक्ष उत्तराखंड परिवहन निगम की 600 बसें उत्तर प्रदेश जाती हैं। जिसके बदले प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश परिवहन निगम को डेढ़ करोड़ रुपये प्रति माह भुगतान करती है।
बीते करीब डेढ़ साल से दोनों परिवहन निगमों में वार्ता के लिए कई बार प्रयास हुए, लेकिन हर बार वार्ता विफल ही रही। दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार होने के कारण फिर से बातचीत के प्रयास हुए। संभावना जगी कि अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में दोनों परिवहन निगमों के बीच सहमति बन जाएगी। लेकिन, ऐन समय पर फिर से वार्ता टल गई और उत्तराखंड परिवहन निगम के अरमानों पर पानी फिर गया।
इस तरह उत्तराखंड को हो रहा नुकसान
उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी के मुताबिक, यूपी परिवहन निगम की बसें उत्तराखंड में रोजाना करीब 1500 ट्रिप मारती हैं। जबकि उत्तराखंड परिवहन निगम की 600 बसें यूपी जाती हैं। इसके एवज में सरकार यूपी परिवहन निगम को डेढ़ करोड़ रुपये भुगतान करती है। इस लिहाज उत्तर प्रदेश सरकार को भी उत्तराखंड परिवहन को करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये प्रतिमाह भुगतान करना चाहिए। ऐसे में उत्तराखंड को सालाना 36 करोड़ से अधिक का नुकसान झेलना पड़ रहा है।
अगर यूपी और उत्तराखंड के बीच करार हो जाता है तो यह राशि उत्तराखंड परिवहन निगम के मुनाफे में तब्दील हो जाएगी। उत्तर प्रदेश से आने वाली बसों के फेरे में यूपी परिवहन निगम हर वर्ष करीब 15 प्रतिशत इजाफा करता है। जिसके कारण उत्तराखंड परिवहन निगम को काफी नुकसान हो रहा है। वहीं, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम मुनाफे के चक्कर में अनुबंध नहीं कर रहा है।