उत्तराखंड में प्रस्तावित रोपवे परियोजनाओं के निर्माण की राह आसान हो सकती है। गौरीकुंड-केदारनाथ रोपवे परियोजना का टेंडर दो बार निरस्त हो चुका है। कई अन्य परियोजनाओं के टेंडर प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो पाई है। कई नामी कंपनियों की उत्तराखंड के रोपवे प्रोजेक्टों में दिलचस्पी तो है, लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों के कारण वे यहां आने से हिचक रही हैं।
फ्रांस व स्विट्जरलैंड में रोपवे परियोजनाओं के विनिर्माण और संचालन का अध्ययन कर लौटी टीम ने देश-दुनिया की नामी कंपनियों से प्रस्तावित रोपवे परियोजनाओं के संबंध में बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। अध्ययन दल के सदस्य सचिव लोनिवि पंकज कुमार पांडेय के मुताबिक, हम एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, जिसे मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया जाएगा।
पांडेय के मुताबिक, इस विदेश दौरे में रोपवे विनिर्माण एवं संचालन से जुड़ी आठ देशों की नामी कंपनियों व एजेंसियों के प्रतिनिधि एक जगह भी मौजूद थे। इनमें से कई ऐसी कंपनी व एजेंसियां भी थीं, जो देश में अलग-अलग रोपवे प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं। सात दिवसीय इस दौरे में फ्रांस व स्विट्जरलैंड में रोपवे निर्माण की तकनीक, इंजीनियरिंग और इनके संचालन को करीब से देखने का अवसर मिला।
साथ ही कंपनियों के सीईओ व प्रतिनिधियों से उत्तराखंड में प्रस्तावित रोपवे परियोजनाओं के बारे में चर्चा हुई। उत्तराखंड में रोपवे परियोजनाओं की संभावनाओं को लेकर कई कंपनियों के प्रतिनिधि इच्छुक तो हैं, लेकिन उनकी अपनी व्यावहारिक दिक्कतें हैं, जिनके समाधान हो सकते हैं। अध्ययन से महसूस किया गया कि उत्तराखंड में रोपवे से जुड़ी अन्य परियोजनाओं के जरिये पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। हम एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं जिसका मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।