जल भराव से निपटने के लिए सिंचाई विभाग की अधिकांश योजना बजट के अभाव में धरी रह गई। विभाग ने कई शहरों के लिए ड्रेनेज प्लान तो बनाए लेकिन इन्हें जमीन पर उतारने के लिए उसे 8500 करोड़ चाहिए। इस कारण प्रदेश में जल भराव से निपटने की भगवानपुर औद्योगिक क्षेत्र और भगवान शहर की ड्रेनेज कार्य पर प्रगति को छोड़ कर बाकी कागजों में सिमटकर रह गई।
आलम यह है कि विभाग की उम्मीदें एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) और जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी (जायका) सरीखी वित्तीय एजेंसियों पर टिकी है। विभाग इन दोनों संस्थाओं से धन जुटाने की कवायद में जुट गया है। हर बार की तरह इस बार भी राजधानी देहरादून समेत राज्य के सभी प्रमुख शहरों में जल भराव से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जल भराव की समस्या से निपटने के लिए सिंचाई विभाग ने एक दो नहीं राजधानी और कुमाऊं के सबसे बड़े शहरों में एक हल्द्वानी समेत राज्य के एक दर्जन से ज्यादा शहरों का ड्रेनेज प्लान बनाया है लेकिन यह प्लान केवल कागजों में सिमटकर रह गया है। इसे पूरा करने के लिए राशि की जरूरत है, जिसकी व्यवस्था करना चुनौती बन गया है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार भगवान औद्योगिक क्षेत्र और भगवानपुर शहर के ड्रेनेज कार्य को धरातल पर उतारने को लेकर ही प्रगति हुई है।
एडीबी, जायका से मदद लेने की योजना
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार शहरों के लिए ड्रेनेज प्लान है, उसके लिए काफी बजट की जरूरत है। सचिव सिंचाई डॉ. आर राजेश कुमार कहते हैं कि 14 शहरों का ड्रेनेज प्लान बन गया है इसके लिए 8500 करोड़ की जरूरत है। इसके लिए 3500 करोड़ की डीपीआर तैयार कर ली है। इस संबंध में एक बैठक हुई थी, इसमें योजना के लिए एडीबी, जायका से धनराशि की व्यवस्था करने पर विचार किया जा रहा है।
इन शहरों के लिए ड्रेनेज
सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष जयपाल कहते हैं कि देहरादून के लिए ड्रेनेज प्लान बन रहा है। इस पर ही करीब पांच हजार करोड़ की लागत आने का अनुमान है। इसके अलावा हल्द्वानी, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, पिथौरागढ़, बनबसा, टनकपुर, मुनि की रेती, पौड़ी के स्वर्गाश्रम क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा मसूरी, रुद्रपुर, सितारगंज और खटीमा के लिए भी ड्रेनेज प्लान बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है।