
उत्तराखंड: बारिश से कमजोर हुईं पहाड़ की भू-आकृतियां शुरू हुए भूधंसाव
प्रदेश में इस साल भारी बारिश से पहाड़ की भू-आकृतियां कमजोर हो गई हैं। इस कारण चमोली के नंदानगर से लेकर टिहरी, रुद्रप्रयाग समेत कई शहरों, कस्बों, गांवों में भूधंसाव ने चिंता बढ़ा दी है। भूगर्भ विज्ञानियों के मुताबिक, इसके नुकसान से बचाव के लिए वैज्ञानिक पैमानों के आधार पर विकास की गतिविधियां लागू करनी होंगी।
गोपेश्वर और टिहरी में भू-धंसाव और भूस्खलन से खतरा बढ़ गया है। गोपेश्वर में क्यूंजा घाटी के किणझाणी गांव के निचले क्षेत्र में खेतों में दरारें पड़ गईं हैं। घनसाली के भिलंगना ब्लॉक के घुत्तू क्षेत्र में मैडू ग्राम पंचायत के कनियाज और भाटगांव नामेतोक में जमीन धंसने से कई मकानों में दरारें आ गईं हैं।
गढ़वाल विवि के क्षेत्र में भी भू-धंसाव शुरू हो गया है। चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी और पौड़ी गढ़वाल के कई गांवों में भू-धंसाव से घरों में बड़ी दरारें पड़ गई हैं।
र्वतीय क्षेत्रों में तीन तरह की भू-आकृतियां
गढ़वाल विवि भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रोफेसर वाईपी सुंद्रियाल का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में तीन तरह की भू-आकृतियां (लैंडफॉर्म) हैं। एक तो नदी-नाले के मलबे पर बनी हुईं। दूसरी ग्लेशियर के कारण आई आपदा के मलबे और तीसरी गुरुत्वाकर्षण (यानी गुरुत्वाकर्षण के कारण होने वाली भूस्खलन जैसी प्रक्रियाएं) के कारण बनी हुईं।
भू-धंसाव को भारी बारिश की वजह से ही बढ़ावा मिला
पुराने समय में इन्हें सपाट करके निर्माण किए गए। यहां मलबे के नीचे पत्थरों के साथ ही मिट्टी है जो कि बारिश के पानी के साथ नीचे जा रही है। इस कारण भू-धंसाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भू-धंसाव को भारी बारिश की वजह से ही बढ़ावा मिला है।
भूगर्भ विज्ञानियों का कहना है कि प्रदेश में 4000 मीटर से ऊपर वाले क्षेत्रों का तापमान 0.3 डिग्री प्रति दशक बढ़ रहा है। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।
डीबीएस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य व भूगर्भ विज्ञानी डॉ. एके बियानी का कहना है कि नदियों का रुख मुड रहा है, जिससे नीचे कटाव होकर भू-धंसाव को बढ़ावा मिल रहा है। वहीं, निर्माणाधीन भवनों के पास से पानी जमीन के भीतर जा रहा है, जो नीचे कटाव कर रहा है। मिट्टी भारी होकर गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे खिसक रही है, जो भूधसांव का कारण बन रहा है। वैज्ञानिक तरीके से विकास की गतिविधियां होने पर ही इससे बचाव संभव है।