उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भालू के बढ़ते हमलों ने चिंता और चुनौती दोनों बढ़ा दी है। इसी वर्ष भालू के हमले में पांच लोग जान गवां चुके हैं, जबकि 72 घायल हुए हैं। इस सबको देखते हुए मानव-भालू संघर्ष थामने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में वन विभाग इसे लेकर संजीदा हुआ है।
अब भालू के व्यवहार में आई आक्रामकता का अध्ययन कराने का निर्णय लिया गया है, ताकि समस्या से निबटने को प्रभावी कदम उठाए जा सकें। भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति के उपचार के दृष्टिगत अधिकतम 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का प्रस्ताव शासन को भेजने का निश्चय किया गया।
मानव-भालू संघर्ष की रोकथाम के दृष्टिगत वन विभाग के नवनियुक्त मुखिया प्रमुख वन संरक्षक रंजन कुमार मिश्र ने विभागीय अधिकारियों के साथ विमर्श किया। इस अवसर पर बताया गया कि पौड़ी जिले में मानव-भालू संघर्ष के कारणों का अध्ययन कराया जा रहा है। इस पर मिश्र ने निर्देश दिए कि मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर राज्य के सभी भालू प्रभावित क्षेत्रों का अध्ययन करा लिया जाए। इसमें जैव विविधता बोर्ड और अनुसंधान विंग की मदद ली जाएगी।
यह बात भी सामने आई कि गांवों के नजदीक कचरे के ढेर की ओर भी भालू आकर्षित हो रहे हैं। इसे देखते हुए गांवों के आसपास कचरा निस्तारण की कार्यवाही डीएम से समन्वय स्थापित कर सुनिश्चित करने का निश्चय किया गया। इसमें नगर निकायों व पंचायतों का भी सहयोग लिया जाएगा। यह भी कहा गया कि मानव-भालू संघर्ष की रोकथाम में बीयर स्प्रे लाभदायक हो सकता है। सभी संबंधित प्रभागों को इसकी व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए।
प्रभागों को यह भी दिए निर्देश
संवेदनशील गांवों के प्रथम व अंतिम घर को चिह्नित कर झाड़ी कटान कराएं।
वनकर्मियों की नियमित गश्त प्रभावित क्षेत्रों में रखी जाए।
भालुओं के वासस्थल में सुधार को उठाए जाएं प्रभावी कदम।
फाक्स लाइट, बुश कटर, साेलर लाइट व पिंजरे क्रय करने पर ध्यान दें प्रभाग।
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