जेई, एई व इन जेसीबी मशीनों के ड्राईवरों के मोबाईल नम्बर जिला आपदा प्रबंधन केंद्रों व संबंधित तहसीलों में उपलब्ध करवाए गए हैं। बारिश को देखते हुए फील्ड कर्मचारियों की 15 सितम्बर तक छुट्टियों पर रोक है। आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को अलर्ट पर रखा गया है। सेना, आइटीबीपी, बीआरओ व अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय बनाया गया है।
वहीं, राजमार्गों पर जहां क्रॉनिक लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं, वहां वैकल्पिक ट्रेक रूट भी बनाए गए हैं। दोनों तरफ वाहनों की व्यवस्था करते हुए ट्रांसशिपमेंट की भी तैयारी है। चार धाम यात्रा मार्ग पर शेल्टर प्वाइंट चिन्हित हैं, जहां आवश्यक होने पर यात्रियों को सुरक्षित रोका जा सके। तहसील स्तर तक आपदा राहत के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।
सचिव ने कहा कि कैलास मानसरोवर यात्रा में जाने वाले सभी यात्री पूरी तरह से सुरक्षित हैं। हमारी कोशिश है कि किसी भी परिस्थिति में सूचना व संचार तंत्र बरकरार रहे। उत्तराखंड उन राज्यों में है, जहां आपदा प्रबंधन के लिए सर्वाधिक संख्या में सैटेलाइट फोन का उपयोग किया जा रहा है। हमारे पास इस समय 74 सैटेलाइट फोन है, जो कि जिलाधिकारियों को उपलब्ध कराए गए हैं। दो हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की जा रही है। इनमें से एक हेलीकॉप्टर गढ़वाल के लिए व एक हेलीकॉप्टर कुमाऊं के लिए होगा।
सभी दूरस्थ क्षेत्रों में तीन माह के लिए आवश्यक राशन और अन्य सामग्री का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। राज्य में 31 स्थानों पर एसडीआरएफ की टीमें पहले ही तैनात की जा चुकी हैं। दूरस्थ चैकियों में तैनात लगभग 7500 पुलिसकर्मियों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वॉलेन्टियर्स को भी सक्रिय किया जा चुका है।
इस दौरान सचिव सूचना डॉ. पंकज पांडे, आइजी एसडीआरएफ संजय गुन्ज्याल, अपर सचिव आपदा प्रबंधन सविन बंसल मौजूद रहे।