डोनाल्ड ट्रंप को इन दिनों उत्तर कोरिया की मिसाइलों और परमाणु बम की फिक्र सता रही है. लेकिन अंतरिक्ष में प्योंगयांग के उपग्रह से इलेक्ट्रॉनिक तरंगों का महज एक वार पूरे अमेरिका को अंधेरे में झोंक सकता है. अब अमेरिकी रक्षा विभाग इस खतरे से निपटने की तैयारी में लगा है.
इस तबाही में आवाज नहीं होगी!
अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तर कोरिया के पास अमेरिकी पावर ग्रिड पर सेटेलाइट से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (ईएमपी) हमला करने की ताकत मौजूद है. सीआईए के पूर्व डायरेक्टर जेम्स वूल्सी के मुताबिक, ‘ इस तरह का इकलौता हमला भी अमेरिका के इलेक्ट्रिक ग्रिड और दूसरे बुनियादी ढांचे को साल भर के लिए बेकार कर सकता है. इससे पैदा होने वाली भुखमरी और अराजकता में 10 में से 9 अमेरिकी मारे जाएंगे.’
क्या है अमेरिका की तैयारी?
वूल्सी आगाह करते हैं कि अमेरिकी सभ्यता और लाखों लोगों की जान बचाने के लिए अमेरिका को इस आशंका से निपटने के उपाय खोजने होंगे. अमेरिकी मीडिया के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग इस खतरे से अनजान नहीं है. पेंटागन के तकनीकी विंग डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (डीएआरपीए) ऐसे हमले से निपटने के लिए नई तकनीक विकसित करने पर काम कर रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के एजेंडा में इस तकनीक का विकास भी शामिल है. डीएआरपीए ने पावर कंपनी बीएई सिस्टम से ऐसा बैकअप तैयार करने के लिए कहा है जो इलेक्ट्रिक ग्रिड के निष्क्रिय होने पर भी बिजली की सप्लाई को जारी रख सके. लेकिन इस तकनीक के हकीकत में तब्दील होने में 2020 तक का वक्त लग सकता है.
उत्तरी कोरिया से बढ़ती कशीदगी
राष्ट्रपति ट्रंप ने सत्ता संभालने से पहले ही साफ किया था कि उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रम से निपटना उनकी प्राथमिकता होगी. उनके व्हाइट हाउस में आने के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ा है. ट्रंप प्रशासन ने साफ किया है कि उत्तर कोरिया के खिलाफ सभी विकल्प खुले हैं. इसके बावजूद रविवार को उत्तर कोरिया ने मिसाइल टेस्ट की नाकाम कोशिश की थी.