उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हो रहे उपचुनावों के नतीजे 2019 के आम चुनावों की दशा और दिशा तय करेंगे. बीजेपी इन चुनावों को 2019 का सेमीफाइनल मानकर सियासी रणभूमि में उतरी है तो वहीं कांग्रेस और सपा ने भी पूरी ताकत लगा दी है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विपक्षी दलों के नेताओं को बीजेपी में शामिल कराकर उन्हें तगड़ा झटका दिया है. बता दें कि 28 साल में पहली बार गोरखपुर लोकसभा सीट पर मठ से बाहर का कोई उम्मीदवार बीजेपी से उतरा है. अपनी संसदीय सीट की राजनीतिक विरासत से अलग होने के बावजूद योगी ने बीजेपी उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ला को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
बता दें कि 28 साल में पहली बार गोरखपुर लोकसभा सीट पर मठ से बाहर का कोई उम्मीदवार बीजेपी से उतरा है. अपनी संसदीय सीट की राजनीतिक विरासत से अलग होने के बावजूद योगी ने बीजेपी उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ला को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को गोरखपुर में कहा, ‘उपचुनाव 2019 के संसदीय चुनाव की रिहर्सल है.आपको इस उपचुनाव के लिए तो काम करना ही है, साथ ही 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी तैयारी करनी है और प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतनी हैं.’
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सूबे की 80 संसदीय सीटों में से 71 सीटें जीती थीं. ऐसे में योगी 2019 में सूबे की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. बीजेपी 2019 के लिए माहौल तैयार करने की कवायद के लिए गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट को हरहाल में जीतना चाहती है.
गोरखपुर उपचुनाव को फतह करने के लिए योगी ने मंगलवार को सपा-बसपा-कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को बीजेपी में शामिल कराकर विपक्षी दलों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
बसपा के पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह उर्फ बृजेश सिंह, सपा से पिपरौली के पूर्व ब्लॉक प्रमुख रामधारी यादव, कांग्रेस के जिला कोषाध्यक्ष राम प्रकाश शुक्ल, बसपा से पूर्व विधायक और राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद, पूर्व राज्यमंत्री अच्छेलाल निषाद, जंगल कौड़िया के पूर्व ब्लॉक प्रमुख गोरख सिंह समेत 10 सभासदों ने बीजेपी का दामन थामा.
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