सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए जाने वाले गरीब मरीजों की नब्ज पर आखिरकार हाथ रख दिया गया। स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी भी संभाल रहे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को निरीक्षण के दौरान कई अस्पतालों में खामियां मिलीं। अब शासन स्तर से निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि मरीजों को अस्पताल से दवा दी जाए। डाक्टर बाहर की दवा न लिखें। साथ ही हर अस्पताल को राज्य कंट्रोल रूम से जोड़ा जा रहा है। सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से ओपीडी और दवा काउंटर की सतत निगरानी की जाएगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की ओर से शनिवार को विभागीय महानिदेशक को पत्र जारी किया गया। इसमें लिखा गया है कि उपमुख्यमंत्री द्वारा हार में जिलों के भ्रमण और निरीक्षण के दौरान अस्पतालों के रखरखाव में काफी कमियां पाई गई हैं। इन कमियों को दूर किया जाना है। इसके लिए सभी जिला अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था की जाए। इन्हें राज्य मुख्यालय स्थित कंट्रोल रूम से जोड़ा जाए, ताकि यहीं से अस्पताल में हो रही गतिविधियों की जानकारी मिल सके।
ओपीडी काउंटर और दवा काउंटर सीसीटीवी के फुटेज में जरूर होने चाहिए। निर्देश दिया है कि अस्पतालों में मशीनों का रखरखाव ठीक से किया जाए और इनका उपयोग भी हो। अपरिहार्य स्थिति में ही जांच बाहर से कराई जाए। अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टरों की सूची एक नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित की जाएगी, जहां उनकी उपस्थिति के समय का भी उल्लेख होना चाहिए।
इसी तरह सभी अस्पतालों में ईडीएल के अनुसार दवाओं की सूची और उपलब्धता प्रदर्शित की जाए। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी डाक्टर द्वारा बाहरी दवाइयां नहीं लिखी जाएं। स्पष्ट कहा गया है कि अस्पतालों में जन औषधि केंद्रों को क्रियाशील रखें। अस्पताल में कोई दवा उपलब्ध न होने पर जन औषधि केंद्र पर मिलने वाली दवाइयां ही लिखी जाएं। साथ ही स्वच्छ पेयजल सभी अस्पतालों का एनक्यूएएस का प्रमाणीकरण कराने का निर्देश दिया गया है।