उमेश पाल की किडनैपिंग मामले में माफिया अतीक अहमद को दिया गया दोषी करार
उमेश पाल की किडनैपिंग मामले में माफिया अतीक अहमद को दोषी करार दिया गया। अभी सजा का फैसला होना बाकी है। दरअसल, सन 2006 में उमेश पाल को अगवा करके अतीक के कार्यालय में पिटाई करने का मामला उजागर होने के बाद भी पुलिस मुकदमा नहीं दर्ज कर रही थी। उमेश पाल उस वक्त बसपा का सक्रिय कार्यकर्ता और जिला पंचायत सदस्य था। उसने सीधे मुख्यमंत्री मायावती को शिकायती पत्र भेजा जिसके बाद पुलिस ने अतीक अहमद उसके भाई अशरफ समेत अन्य के खिलाफ अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी। तीन जुलाई 2007 की तहरीर पर पांच जुलाई 2007 को धूमनगंज पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।
उमेश ने मायावती को पत्र लिखकर बयां की थी आपबीती
उमेश पाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को जो पत्र लिखा था उसका मजमून यह था- ‘माननीया मुख्यमंत्री, निवेदन है कि प्रार्थी उमेश पाल एक शान्तिप्रिय नागरिक है तथा बसपा का सक्रिय कार्यकर्ता तथा जिला पंचायत सदस्य है। दिनांक 25 जनवरी 2005 को शहर पश्चिमी के विधायक राजू पाल की हत्या सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ व अन्य लोगों ने की थी, जिसका वह चश्मदीद गवाह है। हत्या के बाद उसको सांसद अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ द्वारा जानमाल की धमकियां दी जाने लगी तथा उसके पूरे परिवार सहित जान से मार डालने की धमकी दी जाने लगी। अशरफ ने अपने मोबाइल से कई बार जान से मारने की धमकी दी। धमकी में न आने पर उसने दिनांक 28 फरवरी 2006 को करीब दो बजे जब वह अपनी मोटर साइकिल से शहर की ओर आ रहा था, तो सुलेमसराय फांसी इमली के पास अतीक अहमद की लैंड क्रूजर गाड़ी से मेरा रास्ता रोक लिया। दूसरी गाड़ी से पीछे से घेर लिया। उसी गाड़ी से दिनेश पासी, अन्सार बाबा और एक आदमी जिसे देखकर मैं पहचान सकता हूं, उतरे और पिस्टल सटाकर गाड़ी के अन्दर पटक दिया। गाड़ी के अन्दर इन लोगों के अलावा सांसद अतीक अहमद व तीन लोग और रायफल लेकर बैठे थे, जिन्हें देखकर पहचान सकता हूं। नाम पता नहीं जानता।’