आजकल लगभग हर कोई हाथ धोने के लिए एंटीसेप्टिक साबुन या जैल का प्रयोग करता है। हम सब इसे संक्रमण से बचाव का बेहतर तरीका मानते हैं, लेकिन सच्चाई इसके उलट है। हाल ही में अमरीकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 17 से अधिक एंटीसेप्टिक साबुनों को प्रतिबंधित किया है कि इससे कोई लाभ नहीं है और यह सुरक्षित प्रतीत नहीं होते। एफडीए के डॉयरेक्टर डॉ. जैनेट वुडकुक कहते हैं, स्टडी के दौरान हमें ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला, जो साबित कर सके कि एंटीसेप्टिक साबुन, सामान्य साबुन और पानी से बेहतर है।
अध्ययन में आया सामने…
एफडीए की इस चेतावनी से पहले किए गए रिसर्चों में भी यह साबित हो चुका है कि एंटीबॉयोटिक्स के लगातार संपर्क में आने से बैैक्टीरिया में प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो जाती है। जो कि बेहद खतरनाक है। एफडीए ने इसके पहले 2013 में यह कहते हुए चेतावनी जारी की थी कि अत्यधिक एंटीबायोटिक के प्रयोग से मानव हार्मोन्स के प्रभावित होने और बैक्टीरिया में प्रतिरोधी क्षमता बनने का खतरा है।
खतरनाक रसायन
एफडीए ने एंटीसेप्टिक साबुन उत्पादक कंपनियों से इस विषय पर स्टडी करने को भी कहा था, लेकिन किसी ने ऐसा नहीं किया। प्रतिबंधित हुए एंटीसेप्टिक रसायनों में ट्राईक्लोजन और ट्राइक्लोकार्बन जैसे एंटीसेप्टिक रसायन भी शामिल हैं। ट्राईक्लोजन 93त्न एंटीसेप्टिक साबुनों में प्रयोग किया जाता है।
अध्ययन में साफ हुआ है, ट्राईक्लोजन मानव और पशुओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की एक स्टडी के मुताबिक ट्राईक्लोजन ने मानव आंतों में पाए जाने वाले माइक्रोबियम का ढ़ांचा बदल दिया है। यह मानव भ्रूण के लिए भी नुकसानदायक है।