भारतीय सेना ने एक बार फिर से एंटी टैंक मिसाइल की कमी को लेकर सरकार के सामने चिंता जाहिर की है। सेना ने सरकार से कहा है कि जब तक डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद्) की तरफ से तैयार की गई एंटी-टैंक मिसाइल नहीं आती तब तक उन्हें कुछ टैंक किलर मिसाइलें मुहैया करवाई जाएं। सेना के पास इस समय 68,000 एंटी टैंक गाइड मिसाइल और अलग-अलग तरह के 850 लॉन्चर्स की कमी है।
सेना के लिए यह कमी गहरी चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान से सटी सीमा पर इनकी काफी जरुरत पड़ती है। सूत्रों का कहना है कि सेना अब कंधे पर रखकर लॉन्च की जाने वाली 2500 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों और 96 लॉन्चर्स को बिना तकनीकी हस्तांतरण के बिना ही बेड़े में शामिल करने वाली है। सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि वो इजरायल की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ATGM या फिर अमेरिका के FGM-148 को खरीदने का फैसला लेती है।
सेना के लिए यह कमी गहरी चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान से सटी सीमा पर इनकी काफी जरुरत पड़ती है। सूत्रों का कहना है कि सेना अब कंधे पर रखकर लॉन्च की जाने वाली 2500 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों और 96 लॉन्चर्स को बिना तकनीकी हस्तांतरण के बिना ही बेड़े में शामिल करने वाली है। सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि वो इजरायल की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ATGM या फिर अमेरिका के FGM-148 को खरीदने का फैसला लेती है।
पिछले साल सरकार ने इजरायल के साथ होने वाली 3200 करोड़ रुपए मूल्य की एंटी टैंक मिसाइल डील को रद्द कर दिया था। इसके अलावा 321 लॉन्चर्स और 15 सिमुलेटर्स को खरीदा जाना था। इजरायल के साथ डील को भारत सरकार ने इसलिए रद्द कर दिया था क्योंकि डीआरडीओ का कहना था कि वह दो साल के अंदर एंटी-टैंक मिसाइलों को बनाकर दे देगी। अपनी भारत यात्रा के दौरान इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू ने उम्मीद जताई थी कि भारत मिसाइल टैंक की डील पर फिर से ट्रैक पर आ जाए।