एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना को एक पत्र लिखा है, जिसमें हाल ही में हुई भयावह घटना पर न्याय करने के लिए उचित और शीघ्र कदम उठाने का अनुरोध किया गया है जिसमें एक पुरुष और महिला ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर खुद को आग लगा ली और बाद में उनकी राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में मृत्यु हो गई।
भयाना ने वकील अमित साहनी के माध्यम से प्रधान न्यायाधीश को एक अभ्यावेदन भेजा है और दुष्कर्म के मुकदमे को दिल्ली स्थानांतरित करके समाज में न्याय और व्यवस्था स्थापित करने के लिए उचित और शीघ्र कदम सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष अदालत के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। साथ ही कहा कि मृतक को न्याय दिलाने के लिए अदालत की देखरेख में एक स्वतंत्र एजेंसी को मामले की जांच सुनिश्चित करनी चाहिए।
एएनआइ के मुताबिक, पत्र याचिका में कहा गया है, ‘आशा है कि पीड़ित और गवाह की अग्नि-परीक्षा दिवंगत आत्माओं को न्याय प्रदान करेगी, जो उनके जिंदा रहते ना हो सका।
पत्र याचिका में अनुरोध किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट वर्तमान प्रतिनिधित्व को जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में मानें। अमित साहनी ने एएनआइ को बताया।
आगे कहा गया कि दुष्कर्म के आरोपों की पूरी जांच प्रक्रिया को या तो किसी अन्य एजेंसी द्वारा या दिल्ली पुलिस द्वारा नए सिरे से शुरू करने की आवश्यकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस पहले ही मामले को बिगाड़ चुकी है और दुष्कर्म का मुकदमा यूपी में सही नहीं चल सकेगा, जो घटनाओं के परीक्षण से स्पष्ट है और इसलिए इसे दिल्ली स्थानांतरित करने की आवश्यकता है।
यह भयावह हादसा हाल ही में 16 अगस्त को हुआ था, जिसमें एक दुष्कर्म पीड़िता (24 वर्ष की आयु) और गवाह (27 वर्ष की आयु) ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के गेट डी के सामने खुदकुशी कर ली थी।
बलिया, यूपी की मृतक पीड़िता ने बसपा (बहुजन समाज पार्टी) के सांसद अतुल राय पर 2019 में उसके साथ दुष्कर्म करने और अश्लील वीडियो बनाने और उसे ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। CJI को भेजी गई पत्र याचिका में कहा गया है कि आरोपी उत्तर प्रदेश में मऊ जिले के घोसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहा था और चुनाव भी जीता था।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features