शायद कम ही लोग ये बात जानते होंगे कि यूपी के नये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एक बार बड़ा जानलेवा हमला हुआ था। इस हमले में वह बाल-बाल बच गये थे। ये हमला इतने बड़े लेवल पर था कि योगी के समर्थकों की सौ से ज्यादा गाड़ियों को हमलावरों ने घेर लिया और तोड़फोड़ कर लोगों को लहुलुहान कर दिया। इसी बीच जमकर फायरिंग हुई थी। भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलियां भी बरसाईं थीं।
बस-ट्रक में टक्कर के बाद लगी भीषण आग, जिससे 22 यात्री की हुई मौत, और 17 बुरी तरह से है जख्मी
7 सितम्बर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किया गया जब मुस्लिम त्योहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गयी। हमले के दौरान योगी बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। पुलिस अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से पहले से ही मना कर दिया था लेकिन आदित्यनाथ उस जगह पर जाने को अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की।
अगले दिन उन्होंने शहर के मध्य श्रद्धान्जली सभा का आयोजन करने की घोषणा की लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ़्तारी दी। आदित्यनाथ को सीआरपीसी की धारा 151A, 146, 147, 279, 506 के तहत जेल भेज दिया गया। उनपर कार्यवाही का असर ये हुआ कि मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा।
यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फ़ैल गए। योगी की गिरफ़्तारी के अगले दिन तत्कालीन जिलाधिकारी हरि ओम और पुलिस प्रमुख राजा श्रीवास्तव का तबादला हो गया। कथित रूप से आदित्यनाथ के ही दबाव के कारण तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की उत्तर प्रदेश सरकार को यह कार्यवाही करनी पड़ी।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features