मोहनलालगंज में ट्रैक मेंटेनर की सतर्कता से कोयले से लदी मालगाड़ी पलटने से बच गई। ट्रैक पर करीब छह इंच पटरी टूटी हुई थी। इस बीच एक मालगाड़ी आ गई। इस पर ट्रैक मेंटेनर पे लालटेन लेकर दौड़ लगा दी। इससे लोको पायलेट ने मालगाड़ी रोक दी और हादसा टल गया। स्टेशन मास्टर व रेलपथ निरीक्षक को सूचना देकर मरम्मत का काम शुरू कराया गया। इस दौरान कई ट्रेनों का संचालन बाधित रहा।
सोमवार रात 11 बजे ट्रैक मेंटेनर बाबादीन व रूपेश रेलखण्ड का निरीक्षण कर रहे थे। मोहनलालगंज स्टेशन से लगभग डेढ़ किमी दूरी पर पोल नम्बर 1053 के पास उन्हें पटरी का लगभग छह इंच का टुकड़ा टूटा मिला।
इससे पहले कि वे स्टेशन मास्टर व पीडब्लूआई को सूचना देते, ट्रैक पर मालगाड़ी आ गई। इस पर रूपेश लालरंग की लालटेन (हाथ बत्ती) लेकर मालगाड़ी को रोकने का इशारा करते हुए ट्रैक की ओर दौड़ने लगा। वह लगभग 100 मीटर तक दौड़ चुका था।
दूसरी ओर मालगाड़ी के लोको पायलट ने लालटेन देखकर तत्काल ब्रेक लगा दिए। इससे ट्रेन टूटी हुई पटरी से करीब 20 मीटर पहले ही आकर रुक गई। पटरी टूटी होने से करीब पांच घंटे तक लखनऊ-वाराणासी रेलमार्ग पर संचालन ठप रहा।
सकते में रेलवे अधिकारी
बाराबंकी के पास गत सोमवार को मेंटेनेंस के दौरान पटरी से मालगाड़ी के आठ वैगन पलट गए थे। इस डिरेलमेंट से उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के आला अधिकारियों के हाथ-पैर फूले हुए थे। इसी बीच सोमवार को ही मल्हौर में गेट के पास पटरी टूटी होने की सूचना आई और मंगलवार को मोहनलालगंज में पटरी टूटने से मालगाड़ी पलटने से बच गई। रेल फ्रैक्चर बड़ी मुसीबत बनते जा रहे हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि ठंड में पटरी सिकुड़ने से फ्रैक्चर हो जाते हैं।
ये ट्रेनें हुईं प्रभावित
मोहनलालगंज रेलवे स्टेशन मास्टर जफर मोहम्मद ने बताया कि पटरी टूटी होने से 13238 कोटा पटना एक्सप्रेस, 14258 काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस को उतरठिया रेलवे स्टेशन, 14511 नौचन्दी एक्सप्रेस को कनकहा स्टेशन, 12203 बनारस इंटरसिटी को निगोहां स्टेशन पर खड़ा कर दिया गया। यातायात सामान्य होने पर ट्रेनों को रवाना किया गया।
पहले भी टले हैं सतर्कता से हादसे
यह पहला मौका नहीं है, जब ट्रैक मेंटेनरों की सतर्कता से रेल हादसे टले हों। तीन दिसम्बर को पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के डालीगंज व बादशाहनगर स्टेशन के बीच 308 पेंड्रोल क्लिपें गायब मिली थीं। रात में पेट्रोलिंग कर रहे शिवशंकर व संजय कापरी की सतर्कता से मामला उजागर हुआ था।
इधर हाशिए पर ट्रैकमैन…
रेलवे अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा 300 ट्रैकमैनों को भुगतना पड़ रहा है। ट्रैक पर दिन-रात जूझने वाले इन ट्रैकमैनों को 27 सौ रुपये प्रतिमाह का जोखिम भत्ता नहीं मिल रहा है। नियमों का हवाला देकर उन्हें टरकाया जा रहा है।
ट्रैकमैनों के हक के लिए लड़ने वाली एसोसिएशन के पदाधिकारी बताते हैं कि उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में तकरीबन 3,400 ट्रैकमैन हैं। ढाई सौ ट्रैकमैन ऐसे हैं, जो अफसरों के बंगलों व दफ्तरों में ड्यूटी कर रहे हैं। जबकि करीब 1,800 पद रिक्त पड़े हुए हैं।
जो ट्रैकमैन बंगलों व दफ्तरों में काम कर रहे हैं, उन्हें तो जोखिम भत्ता दिया जा रहा है। लेकिन जान जोखिम में डालकर पटरियों की मरम्म्त करने वाले तीन सौ ट्रैकमैन इस सुविधा से वंचित हैं। दूसरी ओर रेलवे अधिकारियों ने बताया दसवीं पास ट्रैकमैनों को ही जोखिम भत्ता दिया जा रहा है, जबकि जिन्हें नहीं मिल रहा है, वह आठवीं पास हैं।
ट्रैकमैनों का कहना है कि उत्तर मध्य रेलवे के मंडलों में आठवीं पास ट्रैकमैनों को जोखिम भत्ता दिया जा रहा है तो उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के अधिकारी भेदभाव क्यों कर रहे हैं?