जुनून में अकेला व्यक्ति क्या नहीं कर सकता। पढ़ाई में न चले तो शहीदों के जीवंत लाइव स्टैच्यू तैयार कर पूरा म्यूजियम बना डाला। शुरुआत 16 साल पहले हुई।
बात हो रही है मोहाली जिला निवासी परविंदर सिंह की। 16 साल पहले मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का लाइव स्टैच्यू बनाने वाले परमिंदर नहीं जानते थे कि वे पूरा म्यूजियम बना देंगे।
अंडर मैट्रिक होने के कारण परविंदर सिंह को कहीं नौकरी तो नहीं मिली, मगर उन्होंने स्कूटर मैकेनिक के रूप में अपना जीवन बसर करने की ठानी, लेकिन इस काम में उनकी रुचि ना होने के कारण उस क्षेत्र में उतरने की ठानी, जहां उनका बचपन से शौक था।
परविंदर सिंह के पिता लाभ सिंह राजमिस्त्री थे और चंडीगढ़ में दिहाड़ी करते थे। आर्थिक कारणों से परविंदर सिंह की पढ़ाई बीच में ही छूट गई,लेकिन उसे बचपन से मिट्टी, लोहे और लकड़ी से माडल बनाने का शौक था।
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परविंदर के इसी शौक ने उन्हें सीमेंट और फाइबर ग्लास से लाइव स्टैच्यू तैयार करने वाला बना दिया। दुनिया के सामने ये हुनर तब आया, जब सन् 2000 में उन्होंने पहली बार प्रकाश सिंह बादल का जीवंत लाइव स्टैच्यू तैयार किया। यह स्टैच्यू काफी पसंद किया गया।
इस स्टैच्यू से मिले प्रोत्साहन के बाद परमिंदर सिंह के भीतर उन देशभक्तों के प्रति जज्बा जागा, जिन्होंने मातृभूमि और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उसी दिन परमिंदर ने ठान लिया कि वे शहीदों का म्यूजियम बनाएंगे।
परविंदर सिंह बताते हैं कि शहीदों का म्यूजियम बनाने का उनका सपना पंचायत की मदद से पूरा हुआ। बलौंगी गांव की पंचायत ने उन्हें म्यूजियम बनाने के लिए उन्हें तीन कनाल जमीन दी, जिसमें उन्होंने यह म्यूजियम बनाया।
मोहाली में मेन रोड पर स्थित यह म्यूजियम अब इतना आकर्षक है कि यहां से आने-जाने वालों का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है, क्योंकि इसके बाहर कई लाइव स्टैच्यू लगे हैं, जो देखने में काफी अच्छे लगते हैं।
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50 वर्षीय परविंदर सिंह के द्वारा तैयार किए गए अजायब घर में महाराजा रणजीत सिंह, शहीद भाई तारू सिंह, शहीद मतिदास, भाई दयालजी, बाबा बंदा सिंह बहादुर, शहीद भाई मनी सिंह, सिख साहेबजादे शहीद जोरावर सिंह और फतेह सिंह आदि कई वीर सपूतों के स्टेच्यू लगे हैं।
परविंदर सिंह के मुताबिक, अगर कोई बच्चा या युवा इस हुनर को सीखना चाहता है तो वह इस काम को मुफ्त में करेंगे। ऐसा करके उन्हें काफी संतोष मिलेगा। उन्होंने कहा कि उनके लिए लाइव स्टैच्यू तैयार करना भले एक जज्बा हो, लेकिन ये हुनर युवा पीढ़ी को काफी आगे ले जा सकता है।