नई दिल्ली। ट्रंप प्रशासन की तरफ से भारत से अमेरिका जाने वाले आईटी प्रोफेशनलों पर परोक्ष तौर पर प्रतिबंध लगाने के मामले में कुछ उम्मीद जगी है। एक तरफ अमेरिका से इस बात के संकेत मिले हैं कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एच-1बी वीजा पर रोक लगाने का कोई प्रशासकीय फैसला नहीं करेंगे, बल्कि यह मामला कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के जरिये करवाने की कोशिश करेंगे। लिहाजा, भारत सरकार को उम्मीद है कि कांग्रेस में वहां भारतीय पक्ष का समर्थन करने वाले सांसदों की वजह से एच-1बी वीजा पर रोक लगाने की पहल लागू नहीं हो सकेगी। पहले भी इस तरह का प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस ने पारित नहीं किया है।
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इस बाबत विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप कहा, ‘इस तरह का बिल पहले भी तीन बार पेश किया गया है। कांग्रेस में वह पारित नहीं हो पाया। इस बार भी उम्मीद है कि यह कानून नहीं बन पाएगा। अभी शासकीय आदेश नहीं आया है, इसलिए सरकार अभी उस संभावना पर प्रतिक्रिया नहीं देगी।’ हालांकि, भारत ने इस संभावित कदम पर अपनी चिंताओं से ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों को अवगत करा दिया है। स्वरूप के मुताबिक, जब राष्ट्रपति ट्रंप की प्रधानमंत्री से बात हुई थी तब भी भारत ने अपनी चिंताओं के बारे में बताया और विदेश सचिव एस. जयशंकर व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने जब ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात की थी, तब भी इस पर चर्चा हुई।
अमेरिका से मिली खबरों के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप के चुनाव प्रचार में समर्थन करने वाले भारतीय मूल के सहयोगी शैलभ शल्ली ने कहा है कि ट्रंप एच-1बी वीजा पर शासकीय आदेश जारी नहीं करेंगे। शल्ली का कहना है कि ट्रंप की नीतियों की वजह से भारत के युवा प्रोफेशनलों को काफी फायदा होगा, क्योंकि अमेरिका में सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों की कमी है और उस कमी को सिर्फ भारत ही पूरा कर सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों में भारतीयों को मिलने वाले एच-1बी वीजा की संख्या बढ़ सकती है। शल्ली का यह बयान चिंतित भारतीय आइटी कंपनियों के लिए काफी राहत की बात है। हालांकि, इससे भारतीय कंपनियों का भय खत्म नहीं हुआ है।
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भारतीय आईटी कंपनियों के संगठन नासकॉम ने 22-24 फरवरी के दौरान अपना एक दल अमेरिका भेजने का फैसला किया है। यह दल वहां के राजनेताओं, सरकारी प्रतिनिधियों और उद्योग जगत से मिलकर एच-1बी वीजा पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के उलटे असर के बारे में बताएगा। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में बड़े पैमाने पर नौकरियां भी देती हैं।
जबसे ट्रंप प्रशासन एच-1बी वीजा को हतोत्साहित करने के लिए इन्हें हासिल करने वालों के वेतन में सौ फीसद बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है तभी से भारतीय आइटी कंपनियों में तहलका मचा हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था में आइटी कंपनियों का हिस्सा 9.3 फीसद है। यह 37 लाख लोगों को रोजगार भी देते हैं। इनकी प्रगति में विदेशों से होने वाली कमाई काफी अहम है।