दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड की कमी, जांच में कमी व देरी से जांच करने के साथ ही मरने वालों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी समेत अन्य गंभीर शिकायतों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम जांच के लिए पहुंच गई है।
जांच टीम में एनएचआरसी की उपाध्यक्ष ज्योतिका कालरा भी शामिल हैं। जांच टीम शिकायतों के आधार संबंधित विभागों से पूछताछ करेगी।
एनएचआरसी ने जारी किया था नोटिस
इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार व स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी किया था। आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता व दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने आरोप लगाने के साथ ही इससे जुड़ा डाटा भी पेश किया है। आयोग ने कहा कि डाटा से संकेत मिलता है कि सरकारों (केंद्र व दिल्ली) की ओर से तत्काल प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है।
दिल्ली सरकार और मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए आयोग ने कहा कि यह जरूरी है कि दोनों सरकारें विचार-विमर्श से दस दिन में एक रिपोर्ट तैयार करें। इस बीच दिल्ली सरकार मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड की संख्या के साथ ही प्रतिदिन होने वाली जांच की संख्या को बढ़ाए। आयोग ने कहा कि यह समझा जा सकता है कि सरकारी एजेंसियों, अस्पताल, डॉक्टर, नर्स और उनके परिवार के लिए अप्रत्याशित स्थिति है, लेकिन कोई राज्य अपने नागरिकों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकता।
यह कहा गया है शिकायत में
आयोग को 9 जून को मिली शिकायत के अनुसार, कोरोना संक्रमित मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे हैं, लेकिन कोरोना मरीजों के लिए समर्पित 70 फीसद बेड खाली होने के बावजूद भी उन्हें नहीं मिल रहे हैं। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि दिल्ली के 38 अस्पतालों में से 33 अस्पताल कोरोना मरीजों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। सिर्फ 5 अस्पताल को ही दिल्ली सरकार ने कोरोना अस्पताल घोषित किया है। यह भी आरोप है कि दिल्ली सरकार कोरोना का पता लगाने के लिए जांच भी नहीं कर रही है। इतना ही नहीं कोरोना से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करने में पांच से छह दिन लग रहे हैं।