पुलिस कस्टडी में दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे इंस्पेक्टर सुखदेव सिंह द्वारा अदालत में दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका रिजेक्ट कर दी गई। डिस्टिक्ट एंड सेशन जज अर्चना पुरी ने फैसला सुनाया। जिक्रयोग है कि फेज-10 की रहने वाली एक युवती ने पुलिस इंस्पेक्टर सुखदेव सिंह पर फेज-11 में एसएचओ पद पर तैनाती के समय उसके साथ कस्टडी में दुष्कर्म करने के आरोप लगाए थे।
पीड़िता ने कोर्ट से खुद अपना केस लड़ने का आग्रह किया। उसने अदालत को बताया कि वह इसलिए अपना केस लड़ना चाहती है, क्योंकि इंस्पेक्टर सुखदेव रसूखदार व पैसे वाला है और उसे किसी पर भरोसा नहीं है। अदालत ने उसे केस लड़ने की परमिशन दे दी।
उसके बाद उसने कोर्ट के सामने एक के बाद एक दलीलें रखी। सुनवाई के दौरान पीड़िता ने कोर्ट में अपनी वह मेडिकल रिपोर्ट पेश की, जो कि पटियाला जेल में होने उपरांत सर्वे करने आए डॉक्टरों ने दी थी। कैंसर पीड़िता होने के चलते उसने अपनी मेडिकल हिस्ट्री भी कोर्ट के सामने रखी।
बताया कि इंस्पेक्टर सुखदेव ने कस्टडी में दुष्कर्म किया और उसके प्राइवेट पार्ट में कॉटन पर केमिकल लगा जबरदस्ती की। मेडिकल रिपोर्ट में केमिकल का अंश भी मिला है, जो कोर्ट में पेश की गई। उसने बताया कि इंस्पेक्टर ने उसके साथ चंडीगढ में भी दुष्कर्म किया था, जिसके खिलाफ चंडीगढ़ थाने में मामला दर्ज हुआ था, उसकी एफआइआर की कॉपी भी कोर्ट के सामने पेश की गई।
सुनवाई के दौरान डिफेंस के एडवोकेट विक्रमजीत सिंह आहलूवालिया ने कोर्ट में दलील दी कि विक्टम की ओर से पहले सात बार दुष्कर्म के आरोप लगाए जा चुके हैं। पीड़िता ने कहा कि वे उसकी 7 एफआइआर कोर्ट में पेश कर दें, जिसके बाद डिफेंस ने कहा कि 7 नहीं, तो 6 केस होंगे। अगर 6 नहीं हुए, तो 5 या 4 केस तो जरूर होंगे। पीड़िता ने कहा कि वे अच्छे से अपना होमवर्क करें, फिर दलील दें।
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