यदि मन में कुछ अच्छा कर गुजरने की इच्छा हो तो किसी भी बाधा को दूर दिया जा सकता है। मुनस्यारी क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसा ही कर दिखाया। उन्होंने खुद पुलिया का निर्माण कर उदाहरण पेश किया।
अभी तक अधिकारियों की छवि आराम फरमाने और आदेश देने वाली मानी जाती रही है। साहब माने जाने वाले अधिकारियों से परिश्रम की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह आम धारणा है, परंतु मुनस्यारी के युवा एसडीएम ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है।
युवा एसडीएम केएन गोस्वामी आपदा राहत एवं बचाव कार्यो के लिए आपदा प्रभावित गांवों तक क्षतिग्रस्त मार्गो से पहुंच रहे हैं। इधर दो जुलाई से अलग-थलग पड़े हरकोट गांव को जोड़ने के लिए अस्थाई पुलिया निर्माण के लिए उन्होंने खुद रस्सी खींची। एसडीएम की इस पहल पर आरइएस डीडीहाट के अधिशासी अभियंता ने कुल्हाड़ी चलाकर पुल के लिए लकड़ी तैयार की।
मुनस्यारी से मात्र छह किमी की दूरी पर स्थित हरकोट गांव अलग-थलग पड़ा था। स्कूली बच्चे विद्यालय नहीं जा पा रहे थे। गाडगोठी नाले की पुलिया बह गई थी। पुलिया नहीं होने से गांव अलग-थलग था।
सोमवार को एसडीएम केएन गोस्वामी आरईएस के ईई जीवन धर्मशक्तू के साथ मौके पर पहुंचे और यहां पर ग्रामीणों की मदद से पुलिया का निर्माण कर दिया। पुलिया निर्माण के लिए एसडीएम ने खुद रस्सी खींची तो ईई आरइएस ने कुल्हाड़ी चलाकर लकड़ी तैयार की। खंड शिक्षाधिकारी भानु प्रताप ने लकड़ी ढोई।
ग्राम प्रधान खुशाल ज्येष्ठा ने एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि पहली बार अधिकारियों द्वारा इस तरह का कार्य देखा गया। जिससे ग्रामीणों का उत्साह बढ़ा और एक दिन में पुल तैयार कर दिया गया। कांग्रेसी नेता हीरा सिंह चिराल ने कहा कि आज के दौर में इस तरह के अधिकारी आदर्श हैं।
उन्होंने उच्चाधिकारियों और सरकार से ऐसे अधिकारियों को सम्मानित किए जाने की मांग की है। विदित हो कि हरकोट गांव की मूली , सब्जी और दूध विगत 21 दिनों से मुनस्यारी बाजार नहीं पहुंच पा रहा था। गांव के बच्चे भी पढ़ने विद्यालय नहीं जा पा रहे थे।
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