लखनऊ , 21 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जनपद में मंगलवार को पुलिस वाले नये कप्तान के आने का इंतजार कर रहे थे। दोपहर करीब डेढ बजे एक नवयुवक एसपी बंगले। लोग उसको सामान्य युवक समझ रहे थे। युवक सीधे स्टेनो के पास पहुंचा और एसपी के सरकारी सिमकार्ड की मांग की। स्टेनो ने जब उससे सिमकार्ड मांगने की वजह से पूंछी तो युवक ने बताया कि उसका प्रभाकर चौधरी है। नाम सुनते ही स्टेनो अपनी कुर्सी से खड़े हो गये और नव नियुक्त कप्तान प्रभाकर चौधरी का सलाम किया। वर्ष 2010 बेच के आईपीएस अधिकारी प्रभाकर चौधरी कानपुर देहात नीली बत्ती लगी किसी गाड़ी से नहीं बल्कि रोडवेज बस से पहुंचे थे। वह लखनऊ से रोडवेज बस से कानपुर देहात के लिए निकले और दोपहर कानपुर देहात पहुंच गये। आमतौर पर आईएएस व आईपीएस अधिकारी प्रोटोकाल के बिना नहीं चलते नज़र आते हैं। एसी गाड़ी छोड़कर प्रभाकर चौधरी का इस तरह कानपुर देहात पहुंचने की खबर ने उनको एक बार फिर चर्चा में ल दिया है। प्रभाकर चौधरी युवा होने क चलते पुलिस महकमे में नए प्रयोग भी करने के लिए जाने जाते हैं। देवरिया में अपनी तैनाती के दौरान उन्होंने थानादेरी का दावा करने वाले दारोगा की परीक्षा का सिस्टम शुरू किया था। इस सिस्टम में न तो कोई जोड़ और न ही कोई जुगाड़ लग पाता था। जो भी परीक्षा में पास होता था उसको थानेदारी दी जाती है।