ऑस्ट्रिया में पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय को किया संबोधित

पीएम मोदी इन दिनों ऑस्ट्रिया के दौरे से दिल्ली वापस लौट चुके हैं। इस दौरे पर उन्होंने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि ऑस्ट्रिया का ये मेरा पहला दौरा है जो उत्साह, उमंग मैं यहां देख रहा हूं वो अद्भूत है। 41 साल बाद भारत के किसी पीएम का यहां आना हुआ है। आगे बोले कि ये इंतजार एक ऐतिहासिक अवसर पर खत्म हुआ है। भारत और ऑस्ट्रिया अपनी दोस्ती के 75 वर्ष मना रहा है।

हिंदुस्तान ने युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं

पीएम मोदी ने कहा कि आज मुझे नोबेल पुरस्कार विजेता जिलिंगर से मुलाकात का अवसर मिला। क्वांटम पर जिलिंगर का काम दुनिया को प्रेरित करता है। आज भारत की पूरी दुनिया में बहुत चर्चा हो रही है। हजारों वर्षों से हम दुनिया का ज्ञान को साझा किया। हिंदुस्तान ने युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं। भारत ने हमेशा शांति की बात की है।

इसलिए 21वीं सदी की दुनिया में भी भारत अपनी भूमिका को सशक्त करने वाला है। आज दुनिया भारत को विश्व बंधु के रूप में देखती है, ये हमारे लिए गर्व की बात है। आज भारत के बारे में सुनकर आपका सीना भी 56 इंच का हो जाता होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से भारत और ऑस्ट्रिया दो अलग-अलग छोर पर हैं, लेकिन हम दोनों के बीच अनेक समानताएं हैं। लोकतंत्र हम दोनों देशों को जोड़ता है। स्वतंत्रता, समानता, बहुलवाद और कानून शासन का आदर ​हमारी साझा मूल्य हैं। हम दोनों समाज बहु संवर्धित और बहुभाषी हैं।

भारतीय लोकसभा चुनाव की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऑस्ट्रिया में कुछ महीनों के बाद चुनाव होने वाले हैं जबकि भारत में हमने अभी-अभी लोकतंत्र का पर्व आन बान शान के साथ मनाया है। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव संपन्न हुआ है। उस चुनाव में 650 मिलियन से अधिक लोगों ने वोट डाले हैं। साथ ही बोले कि 60 साल बाद एक सरकार को लगातार तीसरी बार सेवा करने का अवसर भारत में मिला है।

उन्होंने कहा कि कल्पना कीजिए, इतनी बड़ी चुनावी प्रक्रिया होती है लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर चुनाव परिणाम स्पष्ट हो जाते हैं, ये हमारी चुनावी मशीनरी और हमारे लोकतंत्र की ताकत है। भारत में सैकड़ों राजनीतिक दलों के 8000 से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया। इस स्तर की प्रतियोगिता, इतनी विविधतापूर्ण प्रतियोगिता – उसके बाद ही जनता ने अपना जनादेश दिया।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरी हमेशा से यह राय रही है कि दो देशों के बीच रिश्ते सिर्फ सरकारों से नहीं बनते। रिश्तों को मजबूत करने के लिए जनभागीदारी जरूरी है। इसलिए मैं आपके विचार पर विचार करता हूं।” इन संबंधों के लिए भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

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