सूत्रों का दावा है कि ओपी सिंह की फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय में लंबित है। दोनों ही जगह एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद फाइल लंबित होने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। यहां तक कि अगले डीजीपी के रूप में अलग-अलग नामों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है।
डॉ. सूर्य कुमार और डीजी इंटेलीजेंस भवेश कुमार सिंह के नाम एक बार फिर चर्चा में हैं। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 जनवरी को गोरखपुर से लौटेंगे। माना जा रहा है कि उसके बाद वह डीजीपी को लेकर कोई फैसला ले सकते हैं।
नए डीजीपी के न आने से मुख्यालय का कामकाज ठप है। इंस्पेक्टर से लेकर डीजी रैंक तक के अफसरों का स्थानांतरण रुका हुआ है। आईजी रैंक की पोस्ट पर डीजी रैंक और डीजी रैंक के कार्यालय में एसपी रैंक के अधिकारी इंचार्ज बने हुए हैं। प्रदेश के सभी जोन की पोस्ट आईजी काडर की है, लेकिन वहां सरकार ने एडीजी स्तर के अधिकारी तैनात किए हुए हैं।
ये है इन जिलों की स्थिति
वाराणसी में एडीजी जोन बिश्वजीत महापात्रा डेढ़ माह पहले ही प्रमोशन पाकर डीजी हो चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी जोन में ही तैनात रखा गया है। डीआईजी रैंक की मिर्जापुर रेंज की कुर्सी पर एडीजी रैंक के अफसर प्रेम प्रकाश तैनात हैं। गोरखपुर में रेंज और जोन दोनों ही कुर्सी पर आईजी तैनात हैं। लखनऊ में एंटी करप्शन में एक-डेढ़ माह से डीजी से लेकर एडीजी, आईजी और डीआईजी के सभी पद खाली हैं। यहां डीजी का भी काम एसपी रैंक के अधिकारी देख रहे हैं।
डीजीपी के न रहने से छुट्टियों से लेकर तबादलों तक के मामले भी अटके हुए हैं। इंस्पेक्टर के पद से प्रमोट हुए दर्जनों सीओ को उसी जगह तैनात रखा गया है, जबकि उनकी तैनाती अन्य जिलों में होनी है।
आईपीएस अधिकारियों में एसएसपी से लेकर डीजी तक के प्रमोशन के बाद बदलाव तय है, लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो पा रहा। हालांकि डीजीपी मुख्यालय में सबसे वरिष्ठ होने के नाते डीजीपी का प्रभार एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार को दिया गया है, लेकिन उनका कार्यक्षेत्र सीमित है।
सरकार की हो रही किरकिरी
पुलिस व्यवस्था में पैदा हुई इस स्थिति से सरकार की भी किरकिरी हो रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि प्रदेश में अच्छे दिन न होने के कारण डीजीपी जॉइन नहीं कर रहे।
‘डीजीपी का पद एक दिन भी खाली नहीं रहना चाहिए’
प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि उनकी याददाश्त में ऐसा कभी नहीं हुआ जब 14 दिन तक डीजीपी का पद खाली रहा हो। यूपी में डीजीपी का पद महत्वपूर्ण है। केन कमिश्नर के पद को दो माह भी खाली रखा जा सकता है, लेकिन डीजीपी का पद एक दिन भी नहीं।
विक्रम सिंह बताते हैं, मैं भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति डीजी सीआईएसएफ से यूपी काडर में वापस आया था। तब उसी तारीख में रात 11 बजे तक प्रक्रिया पूरी हो गई थी और मुझे रिलीव कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि यूपी में प्रतिभा की कमी नहीं है। डीजीपी बनने लायक और अफसर भी हैं। प्रकाश सिंह कमेटी की सिफारिशों को देखते हुए सरकार को फैसला लेना चाहिए।