योगा करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, अनियमित खानपान और तनाव भरे जीवन के चलते लोगों की जिंदगी से ठहराव मानो कहीं खो सा गया है। सुबह-शाम आॅफिस की भागदौड़ और रोजाना 3 से 4 घंटे जाम में बिताने में बाद किसी के पास इतना वक्त नहीं होता है कि वो अपने स्वास्थ्य के बारे में गंभीरता से सोचे। जिसके चलते आजकल लोग छोटी सी उम्र में ही डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, अवसाद, तनाव, पाचंन तंत्रिका संबंधी और दिल से संबंधित रोगों के शिकार हो रहे हैं। इस स्थिति से निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता है और वो है अच्छा खानपान और योगासन। हालांकि हमारे स्वास्थ्य के लिए कई योगासन जरूरी होते हैं। लेकिन सभी योगासनों का राजा यानि कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम सर्वश्रेष्ठ हैं। डॉक्टर्स का भी मानना है कि रोजाना मात्र 10 से 15 मिनट अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से व्यक्ति 90 प्रतिशत तक रोग मुक्त रहता है।
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अनुलोम विलोम के चमत्कारी लाभ
आजकल दूषित खानपान और तनाव के चलते लोगों की पाचन क्रिया बहुत कमजोर होती जा रही है। यह तो आप जानते ही होंगे कि 99 प्रतिशत रोग पेट से होते हैं। जो लोग रोजाना नियमित रूप से अनुलोम विलोम करते हैं उनकी पाचन क्रिया दुरुस्त होने के साथ ही भूख भी बढ़ती है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से शरीर की समस्त नाड़ियां दुरूस्त और निरोग बनती हैं। इसके साथ ही इस प्राणायाम को करने वाले लोग मौसमी बीमारियों से भी दूर रहते हैं।
सर्दियों में गठिया और जोड़ों में दर्द की समस्या बहुत प्रचंड रूप ले लेती है। अनुलोम विलोम करने से गठिया, सूजन और जोड़ों का दर्द कुछ ही दिनों में सही हो जाता है।
सर्दी, जुकाम, वायरल फीवर, दमा, फेफड़े और श्वास जैसे रोगों के लिए भी अनुलोम विलोम प्राणायाम रामबाण इलाज है।
शरीर में मौजूद दूषित हवा और जहरीले कीटाणुओं को भी अनुलोम विलोम प्राणायाम सही करता है।
नियमित अनुलोम-विलोम करने से तनाव से मुक्ति मिलती है और हम ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहते हैं।
अनुलोम-विलोम अपने रक्त संचार को भी स्थिर रखता है। इस प्राणायाम को रोजाना करने वाले लोग यदि किसी लंबी यात्रा पर फिर कहीं पहाड़ पर चढ़ते हैं तो उनका रक्त संचालन शरीर के अनुकूल रहता है।
वात पित्त कफ होने पर हम कई बीमारियों की चपेट में आने लगते हैं। जबकि अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से यह दोष दूर होता है। अनुलोम विलोम करते वक्त बरतें ये सावधानी
हालांकि इस प्राणायाम को करने के लिए कोई निषेध नहीं है। लेकिन यदि आप इस योगासन को पहली बार करना शुरू कर रहे हैं तो कोशिश करें कि किसी शिक्षक की निगरानी में आप इसे करें। क्योंकि कई बार जो चीजें हमें देखने पर समझ आ जाती हैं उन्हें करने का सही तरीका कुछ और ही होता है।
योग के शारीरिक और मानसिक लाभ हैं परंतु इसका उपयोग किसी दवा आदि की जगह नहीं किया जा सकता है।
अगर आपको कोई शारीरिक या मानसिक रोग है तो कोशिश करें कि इस प्राणायाम को करने से पहले किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
कोशिश करें कि इस प्राणायाम को करने पहले कुछ खाएं नहीं। अन्यथा आपके पाचन तंत्र में दिक्कत हो सकती है। हां, अगर आप सुबह इसे करते हैं तो आप पानी पी सकते हैं। अन्यथा कोशिश करें कि आप पेट खाली ही रहे।
हमेशा कोशिश करें कि अनुलोम-विलोग को या तो सुबह करें और या शाम को सूर्यास्त के बाद करें। दोपहर में भोजन के आस-पास बिल्कुल ना करें। अब आपको सकारात्मकता चाहिए तो आप दोपहर के भोजन के कम से कम 3 घंटे बाद इसे कर सकते हैं।
जो लोग शारीरिक तौर पर कमजोर हैं एनीमिया जैसे रोग से पीड़ित हैं वे इस प्राणायाम के दौरान सांस भरने और सांस निकालने की अवधी को लगभग चार-चार ही रखें। यानि कि अगर आप 4 गिनती में सांस को भरते हैं तो 4 गिनती में ही सांस को निकालें। अन्यथा दिक्कत हो सकती है।
जो लोग इस प्राणयाम को करते वक्त बहुत जल्दी सांसों का आदान-प्रदान करते हैं उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इससे माहौल में मौजूद विषैले तत्व जैसे धूल, धुआं, जीवाणु और वायरस, सांस नली के माध्यम से शरीर में जा सकते हैं। इसलिए ऐसा करने से बचें।