डेमोक्रेटिक पार्टी से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाए जाने के बाद कमला हैरिस बुधवार को पहली बार विलिमिंगटन में लोगों से मुखातिब हुईं। वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन के साथ नजर आईं। इस दौरान हैरिस ने कहा कि कभी उनके माता-पिता उन्हें लेकर लोगों के हक के लिए होने वाले प्रदर्शनों में जाते थे। अन्याय के खिलाफ उस समय शुरू हुआ संघर्ष आज भी जारी है।
उन्होंने कहा, मेरी मां और मेरे पिता दुनिया के दो अलग-अलग हिस्सों से अमेरिका आए। एक भारत से आए तो दूसरे जमैका से। वे यहां पर वर्ल्ड क्लास एजुकेशन लेने पहुंचे थे। हालांकि, 1960 में अमेरिका में शुरू हुए सिविल राइट मूवमेंट की वजह से दोनों करीब आए। उन्होंने स्टूडेंट के तौर पर इसमें हिस्सा लिया। मैं उस समय छोटी बच्ची थी। वे मुझे अपने कंधों पर बांधकर इस प्रदर्शन में लाते थे।
हैरिस ने आगे कहा, ‘‘बीते कुछ समय में हमने नस्लवाद और अन्याय को लेकर नई चीजें महसूस की हैं। अब लोग सड़कों पर उतरकर बदलाव की मांग कर रहे हैं। देश मौजूदा नेतृत्व से बाहर आने के लिए रो रहा है।’’
हैरिस का उम्मीदवार बनाने के बाद पार्टी को तेजी से फंड मिल रहा
कमला को उप राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने से पार्टी को मिलने वाले फंड में तेजी आई है। बीते 24 घंटे में ही डेमोक्रेटिक पार्टी को 26 मिलियन डॉलर (करीब 194 करोड़ रु.) का फंड मिला है। बिडेन के कैंपेन ने बुधवार को बताया कि यह रकम पहले एक दिन में मिलने वाले फंड से दोगुना ज्यादा है।
ट्रम्प कोरोना महामारी से निपटने में नाकाम हुए: हैरिस
हैरिस ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और बिडेन के कार्यकाल में अमेरिका में इबोला वायरस का संक्रमण फैला था। इससे सिर्फ 2 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, राष्ट्रपति ट्रम्प कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने में पूरी तरह नाकाम हुए हैं। ट्रम्प की वजह से महामारी देश में बड़े पैमाने पर फैल चुकी है। इससे देश 1929 के ग्रेट डिप्रेशन (महामंदी) जैसे संकट में घिर गया है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features