224 सदस्यों वाले कर्नाटक विधानसभा की करीब 100 सीटें ऐसी हैं, जहां लिंगायत समुदाय का प्रभाव है. ऐसे में कर्नाटक चुनाव में लिंगायत समुदाय के वोट अहम् भूमिका निभा सकते हैं. यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस इस बड़े वोट बैंक को रिझाकर अपनी और करने में लगी हुई है. इसी प्रक्रिया में जहां कर्नाटक की सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने के फैसले को हरी झंडी दी है, वहीं केंद्र सरकार ने इसपर पलटवार किया है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यकों का दर्जा देने के कदम को हिंदुओं को बांटने के लिए उठाया गया है, राज्य सरकार के इस कदम को केंद्र सरकार कभी मान्यता नहीं देगी. उन्होंने कहा कि लिंगायत समुदाय के सभी महंतों का कहना है कि समुदाय को बंटने नहीं देना है. मैं ये भरोसा दिलाता हूं कि इसे बंटने नहीं दिया जाएगा. जब तक बीजेपी है कोई बंटवारा नहीं होगा. हम इसको लेकर प्रतिबद्ध हैं.
बता दें कि अमित शाह ने इससे पहले भी लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यकों का दर्जा देने का विरोध किया है, बीजेपी अध्यक्ष ने सिद्धारमैया सरकार पर आरोप लगाया था, ‘कांग्रेस लिंगायत समुदाय को बांटने के लिए यह कदम उठा रही है, वो लिंगायतों से प्रेम नहीं करते हैं, बल्कि उनका मकसद येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकना है.’ गौरतलब है कि कर्नाटक कैबिनेट ने 19 मार्च को लिंगायत और वीरशैव लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यकों का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश की थी, कर्नाटक सरकार ने नागमोहन समिति की सिफारिशों को स्टेट माइनॉरिटी कमीशन ऐक्ट की धारा 2डी के तहत मंजूरी दी है. कांग्रेस ने लिंगायत धर्म को अलग धर्म का दर्जा देने का समर्थन किया है, वहीं, बीजेपी अब तक लिंगायतों को हिंदू धर्म का ही हिस्सा मानती रही है.
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