कर्नाटक में चुनाव प्रचार गुरुवार शाम को थम जाएगा, लेकिन इससे पहले बेंगलुरु के फ्लैट में मिले हज़ारों वोटर आईडी कार्ड का मामला बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को चुनाव आयोग ने साफ कहा कि इस वजह से मतदान पर कोई असर नहीं पड़ेगा, और चुनाव नहीं रुकेगा.
इस पूरे मामले पर कर्नाटक मुख्य चुनाव अधिकारी को रिपोर्ट मिल गई है. इस पर 11 बजे फैसला हो सकता है और आगे की कार्रवाई तय हो सकती है. चुनाव आयोग ने इस मामले में सख्त कदम उठाने की बात कही है.
आपको बता दें कि इस मामले में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. शारदांबा नगर के जालाहल्ली इलाके के जिस फ्लैट में ये वोटर आईडी कार्ड मिले वह मंजुला नंजामुरी के नाम पर है, जिसे उन्होंने किराये पर दिया था.
PM ने भी कांग्रेस को घेरा
बेंगलुरु के फ्लैट में वोटर आईडी कार्ड पकड़े जाने के मुद्दे पर पीएम मोदी ने भी कांग्रेस पर हमला बोला. गुरुवार को ही SC/ST/OBC मोर्चा के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए PM मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने इन दिनों कई कारनामे शुरू किए हैं, कांग्रेस अब फेक वोटर आईडी कार्ड बना रही है.
फ्लैट मालिक ने दी थी सफाई
फ्लैट की मालिक मंजुला नंजामुरी ने कहा कि वह 1997 से 2002 तक सभासद रह चुकी हैं, इसमें बीजेपी ने उनकी मदद की थी. उन्होंने कहा कि मैं एक हाउस वाइफ थी, लेकिन बीजेपी ने उनकी सभासद बनने में मदद की, इसलिए वह खुद को उनकी शरण में मानती हैं. उन्होंने कहा कि मैं कभी भी कांग्रेस के साथ नहीं रही और ना ही भविष्य में उनके साथ रहूंगी.
मंजुला ने कहा कि राकेश उनके फ्लैट में बतौर किराएदार नहीं है बल्कि रेखा और रंगाराजू किराएदार हैं. बता दें कि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राकेश बीजेपी समर्थक है और फ्लैट में किराएदार है. मंजुला के बेटे श्रीधर ने कहा है कि राकेश का फ्लैट से कोई लेना-देना नहीं है, वह उनका कजिन जरूर है. उन्होंने कहा कि मेरा कांग्रेस के साथ कोई संबंध नहीं है.
क्या है मामला?
मंगलवार शाम बेंगलुरु के जालाहल्ली इलाके में एक घर से बड़ी संख्या में वोटर आईडी कार्ड बरामद होने से विवाद गर्मा गया था. यह इलाका राज राजेश्वरी निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है. इस मामले को लेकर बेंगलुरु में चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार ने मंगलवार रात को प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की.
उनके अनुसार, राज राजेश्वरी में करीब 4 लाख 35 हजार 439 वोटर हैं, यह वहां की आबादी का 75.43 फीसदी है. पिछली बार रिवीजन के दौरान 28 हजार 825 नाम जोड़े गए थे. इसके बाद अपडेशन के दौरान 19,012 नाम और जोड़े गए थे. इस दौरान 8817 लोगों का नाम हटाया भी गया था.
संजीव कुमार ने बताया कि वह खुद इस घर में गए थे और उन्होंने यहां 9746 वोटर आईडी कार्ड बरामद किए थे. इन्हें छोटे बंडलों में बांधकर और लपेटकर रखा गया था. हर बंडल पर फोन नंबर और नाम लिखा गया था.