सनातन धर्म में बुधवार के दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण एवं गणेश जी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। आज से रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हेतु पांच दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा। अनुष्ठान के पहले दिन कलश पूजन, कलश यात्रा, जलयात्रा, तीर्थ पूजन आदि किए जाएंगे। ज्योतिषियों की मानें तो रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व पांच दिवसीय अनुष्ठान के पहले दिन दुर्लभ शिव योग समेत 4 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, शुभ मुहूर्त, योग एवं पंचांग जानते हैं
शुभ मुहूर्त
पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि रात 10 बजकर 06 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। अतः 18 जनवरी को मासिक दुर्गाष्टमी है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर कलश पूजा की जाएगी।
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो कलश पूजा के शुभ अवसर पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण शाम 05 बजकर 13 मिनट तक है। इसके बाद सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है। सिद्ध योग में गणेश अंबिका पूजन किया जाएगा।
शुभ करण
कलश पूजन के शुभ अवसर पर गर और वणिज करण का निर्माण हो रहा है। गर करण का योग सुबह 10 बजकर 58 मिनट तक है। इसके बाद वणिज करण का योग बन रहा है। इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 47 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 16 मिनट पर
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से 02 बजकर 59 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 45 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से दोपहर 01 बजकर 50 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 11 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 31 बजे तक
दिशा शूल – पश्चिम
ताराबल
अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन