शक्ति उपासना का त्योहार शारदीय नवरात्रि कल से यानि 21 सितंबर 2017 से शुरू होने जा रहा है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है। साल में दो बार नवरात्रि मनाया जाता है पहला चैत्र महीने में मनाया जाता है और दूसरा आश्विन महीने में शारदीय नवरात्रि के रूप में। क्या आप जानते हैं कि कैसे शुरू हुई नौ दिनों तक माता दुर्गा की पूजा और उपासना।
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सबसे पहले भगवान राम ने शारदीय नवरात्रि की पूजा लंका में विजय प्राप्त करने के लिए की थी। भगवान राम ने नौ दिनों तक उपासना करने के बाद दसवें दिन लंका पर चढ़ाई करके विजय प्राप्त किया था। आइए जानते है कैसे भगवान राम ने मां देवी दूर्गा की आराधना करके रावण पर विजय प्राप्त की थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्माजी ने भगवान राम से रावण का वध करने लिए चंडी देवी के प्रसन्न करने को कहा। साथ ही हवन में दुर्लभ 108 नीलकमल अर्पित करने को कहा। वही दूसरी तरफ रावण भी मां चंडी को खुश करने के लिए मां का पाठ करना शुरू कर दिया। नौ दिनों तक भगवान राम ने मां की पूजा और उपवास किया था।
भगवान राम की पूजा में विघ्न डालने के उद्देश्य से रावण ने मायावी तरीके से हवन सामग्री में से 1 एक नीलकमल को गायब करा दिया। जब यह बात भगवान राम को पता चली तो पूजा के संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी एक आंख मां को समर्पित करनी चाही और तीर से अपने नेत्र निकालने लगे। तभी मां पूजा से प्रसन्न होकर प्रगट हुईं और राम जी को विजय होने का वरदान दिया।
वहीं दूसरी तरफ रावण भी मां दुर्गा को को प्रसन्न करने के लिए पाठ करने लगा तब हनुमान जी ने ब्राह्राण का रुप धारण करके एक मंत्र जयादेवी भूर्तिहरिणी में हरिणी के स्थान पर कारिणी शब्द का उच्चारण करा दिया। इससे मां दुर्गा रावण से नाराज हो गई और वरदान देने बजाय उसको सर्वनाश होने का श्राप दे दिया।
एक अन्य कथा के अनुसार राक्षस महिषासुर ने अपनी तपस्या के बल पर देवताओं से अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया था। मषिसासुर ने अपनी ताकत से पाताललोक का विस्तार स्वर्गलोक तक कर दिया। महिषासुर ने सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, अग्नि, वायु, यम, वरुण और अन्य देवतओं के भी अधिकार छीन लिए और स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा।
देवताओं के स्वर्गलोक छिन जानें के कारण पृथ्वी पर रहने को मजबूर होना पड़ा। तब सभी देवताओं ने मां दुर्गा को प्रगट किया। महिषासुर का अंत करने लिए सभी देवताओं नें अपने सभी अस्त्र-शस्त्र मां दुर्गा को समर्पित कर दिए। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक युद्ध चला और अंत में मां ने महिषासुर का वध किया तभी से नवरात्रि का आरम्भ माना जाता है।