लखनऊ। यूपी की भाजपा सरकार की दूसरी बैठक मंगलवार की सुबह होने जा रही है। कैबिनट की इस बैठक में खनना, गन्ना किसाने, जेई पीडि़ताओं के इलाज और बुंदेलखण्ड पेयजल योजना पर अहम फैसला हो सकता है।
यूपी चुनाव के दौरान भाजपा ने प्रदेश के बढ़ रहे अवैध खनन का मुद्दा उठाया था। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद दूसरी कैबिनट में खनन को लेकर अहम फैसला हो सकता है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्षता में एक समिति बनी है जिसमें नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना और वन मंत्री दारा सिंह चौहान को शामिल किया गया है। इस समिति को हफ्ते भर में इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए थे। मंगलवार को इस समिति के गठन को एक सप्ताह पूरा हो रहा है। संकेत मिले हैं कि अवैध खनन पर रोक और आमजन की सुविधाओं के लिए इस समिति की सिफारिश पर कैबिनेट के सामने जनोपयोगी प्रस्ताव लाया जा सकता है।
जापानी इंसेफेलाइटिस और एईएस के मरीजों को राहत देने की दिशा में सरकार तत्पर है। कैबिनेट में 19 जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस से पीडि़त मरीजों के लिए 104 इटीसी केंद्रों में दस-दस बिस्तरों वाले पीडियाट्रिक आइसीयू को तत्काल प्रभावी रूप से संचालित किए जाने पर फैसला होगा। अब तक जापानी इंसेफेलाइटिस पर हुई कार्रवाई की समीक्षा होगी। बुंदेलखंड में तात्कालिक तौर पर पेयजल सुविधाओं के लिए हाल ही में मुख्यमंत्री ने 47 करोड़ रुपये दिए। हालांकि अब यहां नई पेयजल योजना की तैयारी चल रही है। संभव है कि मंगलवार की बैठक में ही फैसले के लिए कैबिनेट के सामने यह मसौदा आ जाए। भाजपा सरकार किसानों के हक में महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। अब तक ग्रामीण इलाकों में ट्रांसफार्मर जलने पर 72 घंटे में बदले जाते थे लेकिन सरकार इसे 48 घंटे में बदलने का प्रस्ताव ला सकती है।
आलू किसानों को अपने पैदावार को लेकर हमेशा दिक्कत बनी रहती है।
अच्छे पैदावार के बावजूद कई बार किसानों को अपनी लागत मूल्य निकाल पाना मुश्किल हो जाता है। सरकार ने किसानों के मुनाफे का रास्ता निकालते हुए पिछली कैबिनेट की बैठक में एक समिति गठित की। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और वन मंत्री दारा सिंह चौहान की इस समिति ने प्रति क्वंटल 487 रुपये आलू खरीद समेत कई बेहतर प्रस्ताव दिए हैं। संभव है कि इस समिति के मसौदे पर मंगलवार को कैबिनेट अपनी मुहर लगा दे। दूसरी कैबिनट बैठक में एम्बुलेंस सेवा पर भी फैसला हो सकता है। प्रदेश सरकार चाहती है कि आपत्काल में बुलाई गयी एम्बुलेंंस में एक डाक्टर भी मौजूद रहे ताकि मरीज को अस्पताल पहुंचने से पहले ही उपचार मिल सके।