कश्मीर में बिगड़े हालातों के बीच राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्की पीएम मोदी से मिलने पहुंचीं हैं. दोनों की मुलाकात इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि राज्य में लगातार पीडीपी-बीजेपी गठबंधन में तल्खी बढ़ रही है. अटकलें तो यहां तक लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार जल्द ही कोई फैसला ले सकता है और राज्य में राज्यपाल शासन तक लग सकता है.
 इसके अलावा महबूबा की प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात श्रीनगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में हालिया उपचुनाव की पृष्ठभूमि में भी होगी, जहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई और अब तक का सबसे कम मतदान हुआ. साल 2014 के आम चुनाव के करीब तीन साल बाद पीडीपी ने नेशनल कांफ्रेंस के हाथों यह सीट गंवा दी.
इसके अलावा महबूबा की प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात श्रीनगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में हालिया उपचुनाव की पृष्ठभूमि में भी होगी, जहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई और अब तक का सबसे कम मतदान हुआ. साल 2014 के आम चुनाव के करीब तीन साल बाद पीडीपी ने नेशनल कांफ्रेंस के हाथों यह सीट गंवा दी.
दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग
इस बीच, गृह मंत्रालय में कश्मीर के हालात को लेकर उच्च स्तरीय बैठक भी हुई. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर के हालात को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, डायरेक्टर आईबी, गृह सचिव के साथ राज्य के हालात पर चर्चा की.
पीएम की सभी राज्यों से अपील
जबकि इससे पहले रविवार को हुई नीति आयोग की बैठक में पीएम मोदी ने सभी राज्य सरकारों से अपील की कि अपने-अपने राज्यों में जम्मू-कश्मीर के छात्रों से संपर्क करें. बैठक में महबूबा मुफ्ती ने यह मुद्दा उठाया. राजस्थान के मेवाड़ में कुछ कश्मीरी छात्रों की पिटाई और उत्तर प्रदेश के मेरठ में कश्मीरी छात्रों से राज्य छोड़ने के लिए कहने के बाद यह अपील काफी मायने रखती है. मोदी ने महबूबा के इस सुझाव का समर्थन किया कि दूसरे राज्यों में पढ़ रहे जम्मू-कश्मीर के छात्रों के हितों का राज्यों को ख्याल रखना चाहिए. राजस्थान के मेवाड़ विश्वविद्यालय में कश्मीर के छह छात्रों की कुछ स्थानीय लोगों ने पिटाई कर दी थी. मेरठ में भी एक होर्डिंग लगाकर कश्मीरी छात्रों से उत्तर प्रदेश छोड़ने के लिए कहा गया था.
‘कश्मीर को लेकर गंभीर नहीं केंद्र सरकार’
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के नेता राज्य में ही बीजेपी के नेताओं के उन बयानों से परेशान हैं, जिसमें वह कश्मीर विरोधी बयान देते रहे हैं. यही वजह है कि पहली बार राजनीति में आए महबूबा मुफ्ती के भाई और अनंतनाग लोकसभा सीट से पीडीपी उम्मीदवार तसादुक मुफ्ती ने कुछ ही दिन पहले एक अखबार के साथ बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार कश्मीर को लेकर गंभीर नहीं है.
घाटी में और बिगड़े हालात
जम्मू कश्मीर में साल 2016 में कई महीनों तक अशांति के बाद महबूबा मुफ्ती को उम्मीद थी कि साल 2017 में कश्मीर के हालात सुधर गए, लेकिन ऐसा हो नहीं सका और अब विरोध प्रदर्शनों में पत्थरबाजों के साथ-साथ स्कूलों और कॉलजों के छात्र भी जुटने लगे हैं. कश्मीर में पिछले एक हफ्ते से कॉलेज बंद पड़े हैं और पिछले साल की तरह ही इस साल भी पर्यटन फीका रह गया है.
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