कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल की बिना इजाजत गुजरात छोड़ने की मांग को स्थानीय अदालत ने ठुकरा दिया है। हार्दिक ने एक याचिका दाखिल कर गुजरात छोड़ने से पहले कोर्ट की मंजूरी की अनिवार्यता खत्म करने की मांग की थी। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल के वकील का कहना था कि उनका कार्य विस्तार बढ़ जाने से गुजरात से बाहर भी जाना पड़ता है तथा उच्चतम न्यायालय में दो मामले लंबित होने के चलते तारीख में पेश होने व वकील से सलाह मशवरा के लिए भी उन्हें गुजरात से बाहर जाना पड़ता है।
हार्दिक के वकील ने कहा था कि जमानत के वक्त ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई थी देश में कहीं पर भी बेरोकटोक आना-जाना हार्दिक का मौलिक अधिकार है। सरकारी वकील एच एम ध्रुव तथा सुधीर ब्रह्मभट्ट व अमित पटेल ने अदालत को बताया कि हार्दिक अदालती मामलों की प्रक्रिया का पालन नहीं करता है जमानत की शर्तों का भी बार-बार उल्लंघन करता है तथा नियमित रूप से पुलिस थाने में हाजिरी देने की शर्त का भी पालन नहीं कर रहा है उनका यह भी कहना था कि कोर्ट में हाजिर नहीं रहने पर हार्दिक की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी जिसके वारंट की कॉपी जिस पते पर भेजी गई वहां हार्दिक मौजूद नहीं था जब की जमानत के वक्त हार्दिक ने अपना निवास इसी पते पर बताया था।
हार्दिक को फिलहाल गुजरात से बाहर जाने के लिए अदालत की मंजूरी लेनी होगी अदालत की मंजूरी के बिना वे गुजरात नहीं छोड़ सकते। हार्दिक को कुछ दिन पहले ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गुजरात प्रदेश इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। हार्दिक चाहते हैं कि उनको गुजरात से बाहर जाने के लिए अदालत की मंजूरी नहीं लेना पड़े लेकिन सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि हार्दिक कोर्ट केस को लंबा खींचने की आदत रखता है तथा हाल अदालत में चल रहे मामलों में उसके ऐसे ही प्रयास सामने आए हैं। सेशन जज बी जे गणात्रा ने सरकार की दलील को मानते हुए कहां की आरोपी कोर्ट केस को निलंबित करने की प्रवृत्ति रखता है कोर्ट के रिकॉर्ड से भी यह स्पष्ट होता है। उनका कहना था कि अदालत ने हार्दिक का गुजरात से बाहर जाने का अधिकार छीना नहीं है लेकिन उसके लिए मंजूरी आवश्यक है।