गुजरात विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने जीत दर्ज की हो लेकिन पार्टी की चिंताएं कम नहीं हो पा रही हैं। राजस्थान में जनवरी के अंत में उपचुनाव होने हैं, लेकिन भाजपा अभी तक प्रत्याशी के नाम तय नहीं कर सकी है। दरअसल अलवर व अजमेर लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। अलवर सीट पर प्रत्याशी घोषित करने के मामले में कांग्रेस ने बाजी मार ली है। कांग्रेस ने अलवर से पूर्व सांसद डॉ. करण सिंह यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लेकिन दो दिन जयपुर में चली मैराथन बैठक के बाद भी भाजपा किसी भी सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं खोज सकी है।
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पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा को अब मजबूरीवश किसी यादव उम्मीदवार को ही मैदान में उतारना होगा। इसलिए संभवत: आज पार्टी राज्य सरकार में श्रम मंत्री डॉ जसवंत सिंह यादव को अलवर से प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर सकती है। पार्टी नेताओं के अनुसार डॉ. यादव पार्टी नेतृत्व की पहली पसंद नहीं है। लेकिन अलवर में यादव वोट ही जीत-हार तय करते हैं। इसलिए भाजपा ने डॉ .यादव को उम्मीदवार बनाने का मन बना लिया है। डॉ यादव हाल ही में पीएम मोदी पर दिए गए एक बयान को लेकर सुर्खियों में आए थे। दरअसल यादव की पीएम मोदी को लेकर जुबां फिसल गई थी और वे उन्हें दुनिया के सबसे भ्रष्ट प्रधानमंत्री बोल गए थे।
वहीं अजमेर लोकसभा सीट के लिए भी पेंच फंसा हुआ। यहां दोनों ही पाटियां जातिगत समीकरणों के आधार ही उम्मीदवार घोषित करेंगी। गौरतलब है कि अलवर व अजमेर दोनों ही लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के वरिष्ठ कद्दावर नेता माने जाने वाले जितेन्द्र सिंह और सचिन पायलट का प्रभाव है। इसलिए कांग्रेस इसी आधार पर दोनों सीट जीतने का दावा कर रही हैं, जबकि भाजपा के सामने मुश्किल यह है कि दोनों ही सीटों पर उसके पास कोई प्रभावित करने वाला नाम नहीं है।
सत्तारुढ़ भाजपा दोनों ही सीटों पर प्रत्याशी के लिए अपने ही नेताओं से गुप्त मतदान करा चुकी है। लेकिन फिर भी नामों की घोषणा करने में हिचक रही है। पार्टी नेताओं के अनुसार जयपुर से संभावित उम्मीदवारों की सूची पार्लियामेंट्री बोर्ड में भेजी गई है। वहीं से नामों पर मुहर लगेगी। गौरतलब है कि 29 जनवरी को अलवर और अजमेर लोकसभा सीट के अतिरिक्त मांडलगढ़ विधानसभा सीट के लिए वोटिंग होनी है। इसी को लेकर राजस्थान का सियासी पारा चढ़ा हुआ है।