गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे कांग्रेस को झटका लग रहा है. गुजरात की युवा तिकड़ी में से पहले हार्दिक पटेल तो अब जिग्नेश मेवाणी ने कांग्रेस को गच्चा दे दिया है. दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने कांग्रेस सहित किसी भी दल से हाथ मिलाने से साफ इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि इन चुनावों में वो किसी पार्टी को ज्वॉइन नहीं करेंगे. मेवाणी का ये बयान कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है क्योंकि पार्टी हार्दिक-मेवाणी और अल्पेश ठाकोर के सहारे ही गुजरात की जंग फतह करने का सपना संजोए थी. गौरतलब है कि अल्पेश ने विधिवत रूप से कांग्रेस की सदस्यता ले ली है. गुजरात विधानसभा चुनाव में ये सात चेहरे ला सकते है नया मोड़…
गुजरात विधानसभा चुनाव में ये सात चेहरे ला सकते है नया मोड़…
गुजरात में सत्ता का वनवास तोड़ने के लिए राहुल गांधी ने मोर्चा संभाला है. चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले राहुल गांधी ने बड़ा दांव खेला था. कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी को साथ आने का न्योता दिया. इस न्योते को स्वीकार करते हुए सबसे पहले अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस का दामन थामा.
गुजरात के युवा तिकड़ी में से हार्दिक पटेल का रुख अब तक साफ नहीं है. हाल ही में उन्होंने एनसीपी नेताओं के साथ मुलाकात की. कुछ दिन पहले तक लग रहा था कि हार्दिक कांग्रेस के साथ जाएंगे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया. उन्होंने पाटीदार समाज को कोटा देने के मामले में कांग्रेस को पहले 3 नवंबर तक की मोहलत दी. अब ये तारीख 7 नवंबर तक बढ़ा दी है. कांग्रेस ने इस पर अभी चुप्पी साधी हुई है.
हार्दिक के असमंजस के बीच अब गुजरात में दलित चेहरा जिग्नेश मेवाणी ने कांग्रेस को समर्थन देने से साफ इनकार कर दिया है. एक समय जिग्नेश को साथ जोड़ने के लिए कांग्रेस ने अपने सारे घोड़े खोल दिए थे. पिछले दिनों जिग्नेश मेवाणी दिल्ली में थे, माना जा रहा था कि वो राहुल गांधी से मुलाकात करके कांग्रेस का दामन थाम लेंगे, लेकिन उन्होंने मुलाकात नहीं की. अब आज उन्होंने अपनी स्थिति पूरी तरह साफ कर दी है.
दलित आंदोलन से मिली पहचान
जिग्नेश मेवाणी तब अचानक सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने वेरावल में ऊना वाली घटना के बाद ‘आजादी कूच आंदोलन’ में 20 हजार दलितों को एक साथ मरे जानवर न उठाने और मैला न ढोने की शपथ दिलाई थी. जिग्नेश ने उस समय कहा था- ‘इस मुहिम में हम हर शहर, गली और गांव में जाकर बहुजन समाज के लोगों को शपथ दिला रहे हैं कि वे लोग अपनी पुरानी वर्ण व्यवस्था पर आधारित पेशा छोड़ें और बाबा साहेब अंबेडकर के बताए रास्ते पर चलकर शिक्षित बनें और अपने पांव पर खड़े हों’.
जिग्नेश की सियासी ताकत
जिग्नेश के शामिल न होने से कांग्रेस को बड़ा झटका माना जा रहा है, गुजरात में करीब 7 फीसदी दलित मतदाता हैं और देश में दलितों की संख्या 15 प्रतिशत है. इसके अलावा गुजरात में आदिवासी मतदाता 12 फीसदी है. जिग्नेश ने राज्य के दलित और आदिवासियों को एकजुट करने का काम किया था. जिग्नेश मेवाणी युवा और तेज-तर्रार हैं.
जिग्नेश सिर्फ गुजरात में नहीं बल्कि देश में भी दलित मतों को कांग्रेस के पाले में वापस लाने में अहम भूमिका अदा कर सकते थे. मौजूदा दौर में कांग्रेस दलित युवा चेहरों की कमी से जूझ रही है. ऐसे में ऊना आंदोलन के जरिए पहचान बनाने वाले जिग्नेश से कांग्रेस ने उम्मीदे पाल रखी थी. लेकिन जिग्नेश ने साफ इनकार करके कांग्रेस के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया है.
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