लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल नियुक्ति पर चयन समिति की बैठक में ‘विशेष अतिथि’ के रूप में शामिल होने से इनकार कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर खड़गे ने कहा है कि उन्हें विशेष आमंत्रण भेजना लोकपाल की चयन प्रक्रिया में विपक्ष की स्वतंत्र आवाज को अनसुना करने के लिए उठाया गया कदम है। लोकपाल चयन समिति की गुरुवार को बुलाई गई बैठक में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पीएम मोदी और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा हिस्सा लेंगे।
प्रधानमंत्री को भेजी चिट्ठी में खड़गे ने लिखा, “भ्रष्टाचार पर निगरानी के लिए चुने जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण पद लोकपाल की चयन प्रक्रिया से स्वतंत्र आवाज को दबाने के लिए यह ‘विशेष अतिथि आमंत्रण’ जैसा कदम उठाया है। यह लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 की मूलभावना की पूरी तरह अवहेलना करता है। लोकपाल अधिनियम 2013 के अध्ययन से पता चलता है कि इसके इरादे और उद्देश्य यह साफ कहते हैं कि विपक्ष के नेता के पद को विशेष आमंत्रित के रूप में बदला नहीं जा सकता है।”
उन्होंने प्रधान मंत्री को पत्र में लिखा, “यह आश्चर्य की बात है कि आपकी सरकार किसी भी सार्थक और रचनात्मक भागीदारी की तलाश के बजाय महज कागजी कार्रवाई का रास्ता अपना रही है।”
खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (संशोधन) बिल, 2014 जैसे कई कानूनी बदलाव किए जहां चयन समिति में ‘विपक्ष के नेता’ की जगह ‘सबसे बड़ी पार्टी के नेता’ जैसे पद बनाए गए।
गौरतलब है कि लोकपाल को देश के शीर्ष पदों पर तैनात अधिकारियों समेत प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होगा। लोकपाल और लोकायुक्त कानून साल 2013 में लोकसभा और राज्यसभा की सहमति से पास हुआ था।
लोकपाल नियुक्ति पर चयन समिति की बैठक को लेकर कांग्रेस के सूत्रों का कहना था कि मल्लिकार्जुन खड़गे गुरुवार को दिल्ली पहुंचे। लेकिन उनके शामिल होने को लेकर पार्टी कानूनी सुझाव लेने के बाद ही इसपर कोई फैसला लेगी। कांग्रेस ने कहा है कि लोकपाल चयन समिति की बैठक में खड़गे की भूमिका स्पष्ट नहीं है।