जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य वरिष्ठ सांस रोग विशेषज्ञ प्रो. एसके कटियार ने बताया कि इस मौसम में स्मॉग रहता है। इसमें ओजोन गैस से सांस की नली में सूजन आ जाती है। कोरोना के कारण जिनके सांस तंत्र में क्षति हुई है। वैसे वे दवाओं से सामान्य रहते हैं, लेकिन इस मौसम में उन्हें दिक्कत जल्दी और गंभीर हो जाती है।
जो लोग कोरोना की चपेट में आए हैं, वे धुंध के इस मौसम में सतर्क रहें। कोरोना सांस तंत्र खोखला कर गया है। मौसम बदलने से धुंध बढ़ी है तो दवा से नियंत्रित चल रहे दमा और सीओपीडी (सांस नली और फेफड़ों का सिकुड़ जाना) के रोगियों का खतरा बढ़ गया है। दम घुटने से रोगियों की हालत अचानक गंभीर हो जा रही है।
धुंध के कारण वाहनों का धुआं ऊपर नहीं जा पाता। नाइट्रस एसिड ओजोन गैस में बदलकर दम घोंट दे रहा है। गुरुवार को पांच दमा रोगियों की मौत हो गई। कई रोगी गंभीर हालत में अस्पतालों में वेंटिलेटर पर भर्ती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में आ रहे दमा रोगियों की सांस की नली में सूजन आ रही है। इससे ये सांस नहीं ले पाते।
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