कार्तिक पूर्णिमा पर शनिवार को लाखों भक्त आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है। आज के दिन लोग घरों में तुलसी की पूजा विधि विधान से करते हैं।
बाबा सागर व दुर्वासा आश्रम में लगा मेला
कानपुर देहात जिले में आज कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। श्रद्धालुओं ने यमुना नदी व सेंगुर नदी में स्नान किया। वहीं, कुछ श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए बिठूर भी पहुंचे। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान भी शुरू कर दिए गए हैं। अखंड रामायण व भागवत कथा, भंडारा आदि के आयोजन हो रहे हैं। बाबा सागर व दुर्वासा आश्रम में लगने वाले मेले में दुकानदार भी भारी संख्या में पहुंच गए हैं।
ज्योतिषाचार्य की मानें तो इस दिन गंगा स्नान के साथ ही सूर्य को जल देना भी शुभ होता है। साथ ही सूर्य मंत्र का जाप भी करने से फल प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन शिव भगवान ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का अंत किया था। राक्षस के अंत के बाद महादेव की पूजा त्रिपुरारी के रूप में होने लगी। मान्यता है कि इसी दिन कृतिका नक्षत्र में भोलेनाथ के दर्शन मात्र से व्यक्ति सात जन्मों तक धनी और ज्ञानी होता है।
इस दिन चंद्रमा जब आकाश में उदित हो रहा हो ठीक उसी समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन कृतिकाओं का पूजन करने से भोले भंडारी प्रसन्न होते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फाल मिलता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से पूरे वर्ष स्नान के बराबर फल मिलता है।
इस पूर्णिमा पर शास्त्रों का भी बड़ा महत्व होता है। शिव भक्तों में इस पूर्णिमा का महत्व इसलिए है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली असुर का वध किया था।
इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक नाम है। लेकिन कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व वैष्णव भक्तों के लिए है क्योंकि प्रलयकाल में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने पहला अवतर लिया था जिसे मत्स्य अवतार के नाम से जाना जाता है।