काहे नाक में दम किए हो। बता तो दिया ट्रेन रास्ते में है। ‘ये तो आप शाम से कह रहे हैं’। जो कहते हैं, वही होता है’। क्या बोले! ‘…कह रहे हैं, जो कहते हैं वही होता है’। देखो…सब कैसे अखबार बिछाकर पसरे हैं। चुपचाप, शांति से अब तुम भी जाअाे।
‘अब ट्रेन कहां पहुंची। सुबह हो गई, इंतजार करते-करते’! बताए तो थे, रास्ते में है। ‘अरे रास्ते में कहां? ट्रेन तो अभी चली ही नहीं..सरकारी नौकरी पा गए, बस अाराम कराे। कुछ एेस ही हाल था डिब्रूगढ़ राजधानी और पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति के अाने का इंतजार कर रहे यात्रियाें का जाे समय से 15 घंटे लेट है। इंतजार करते-करते रात से सुबह हाे गई पर ट्रेन नहीं अाई।
धुंध और कोहरे की मार के चलते बुधवार को दो दर्जन से अधिक ट्रेनें घंटों लेट रहीं। डिब्रूगढ़-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को सुबह पांच बजे आना था लेकिन यह ट्रेन रात आठ बजे आई। लेट होने की वजह से कई ट्रेनों में पानी भी खत्म हो गया। कानपुर आने पर इनमें पानी भरा गया।
नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस 10 घंटे, मरुधर एक्सप्रेस, पटना-कोटा एक्सप्रेस 10 घंटे, लोकमान्य तिलक-गोरखपुर एक्सप्रेस सात घंटे, कानपुर-जम्मू तवी एक्सप्रेस और पूर्वा एक्सप्रेस तीन घंटे, दिल्ली-सियालदह दूरंतो एक्सप्रेस, जयपुर-इलाहाबाद एक्सप्रेस डेढ़ घंटे लेट रहीं।
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