महिलाएं कामकाजी हों या गृहणी, उनका ज्यादातर समय किचन में ही गुजरता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर किचन का वास्तु सही न हो तो उसका विपरीत प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है।

रसोई घर का निर्माण कराते समय ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी जल का स्रोत उससे सटा हुआ न हो। जैसे किचन के बगल में बोर, कुंआ, बाथरूम आदि न बनवाएं, अगर किराये के मकान में रहते हों तो ऐसे मकान को न लें। किचन में सिर्फ वाशिंग स्पेस ही रखें। वस्तु के अनुसार एक ही स्थान पर आग और पानी का स्रोत होना पूरे परिवार पर विपरीत प्रभाव डालता है।
ज्यादा से ज्यादा मिले सूर्य की रोशनी रसोई घर में सूर्य की रोशनी ज्यादा से ज्यादा प्रवेश करे इसका ख्याल रखना चाहिए। साथ ही साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वस्तु के अनुसार इससे सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है, जो रसोई घर के जरिये शरीर के भीतर पहुंचती है।
आग्नेय कोण में ही पकाएं भोजन रसोई घर हमेशा दक्षिण पूर्व कोने जिसे अग्निकोण (आग्नेय कोण) कहते हैं, में ही बनवाना चाहिए। यदि किन्ही कारणों से इस कोण में किचन बनवाना संभव न हो तो उत्तर पश्चिम कोण जिसे वायु कोण (वायव्य कोण) कहते हैं, में बनवाना चाहिए।
यहां हो चूल्हा, प्लेटफार्म और सिंक रसोईघर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यानि प्लेटफार्म, के लिए भी वस्तुशास्त्र में विशेष स्थान निर्धारित किया गया है। प्लेटफार्म हमेशा पूर्व दिशा में होना चाहिए। यही नहीं, सिंक ईशान कोण तथा चूल्हा अग्नि कोण में ही लगाना चाहिए। इसके अलावा किचन के दक्षिण में कभी भी कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होनी चाहिए, खिड़की हमेशा पूर्व दिशा की तरफ ही रखें।
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