लखनऊ: किसानों का कर्ज माफी का वादा पूरा करने के लिए सरकार कर्ज ले सकती है। आय के सीमित संसाधनों को देखते हुए कर्ज माफी कैसे की जाए इसके लिए राज्य सरकार अलग-अलग विकल्पों पर विचार कर रही है। वित्त विभाग के आला अधिकारियों के मुताबिक किसानों की कर्ज माफी के लिए राज्य सरकार को करीब 63,000 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी।
संकल्प पत्र में किए गए वादे के मुताबिक प्रदेश में 2.15 करोड़ ऐसे किसान हैं जिनका कर्ज माफ किया जाना है। जिसमें 1.85 करोड़ सीमान्त किसान और 30 लाख लघु किसान हैं। सरकार को बजट में इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था कैसे की जाएगी। इसके लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के साथ वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल ने बैठक की। साथ ही वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ भी बैठक की। राज्य सरकार ट्रांसफर टु स्टेट मद में केन्द्र से सहयोग चाहती है। इस मद में केन्द्र अगर चाहे तो राज्य सरकार को आर्थिक मदद दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के आला अधिकारी इस मद में रकम दिए जाने के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ जल्द बैठक भी कर सकते हैं।
हालांकि ट्रांसफर टु स्टेट मद में अगर केन्द्र यूपी को पैसा देता है, तो इसको देखते हुए दूसरे राज्य भी केन्द्र सरकार से मदद की मांग कर सकते हैं। राज्य सरकार कर्ज लेने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। राज्य सरकार चाहती है कि इसके लिए नियमों में कुछ छूट दी जाए। दरअसल कर्ज मिलने में भी राज्य सरकार को दिक्कत है। राज्य सरकार प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद जीएसडीपी के 3 प्रतिशत के बराबर कर्ज ले सकती है। ऐसे में सरकार चाहती है कि इस कर्ज को उस सीमा से बाहर रखा जाए ताकि प्रदेश के विकास कार्यों पर असर न पड़े। कर्ज लेने पर राज्य सरकार को ब्याज का भी भुगतान करना पड़ेगा।
ऐसी स्थिति में एक बड़ी चुनौती यह होगी कि कमाई का एक बड़ा हिस्सा ब्याज में ही चला जाएगा। कर्ज माफी के बाद बैंकों को भुगतान किया जाए। राज्य सरकार विचार कर रही है कि बैंक पहले किसानों के कर्ज को माफ कर दें। बाद में राज्य सरकार बैंकों को भुगतान करे। हालांकि इसके लिए बैंक राजी हों यह जरूरी नहीं है।